एक सप्ताह के वेतन रोकने क्या एक से से सुधर जाएंगे अधिकारी?
यदि सरकार चाहती है की शासकीय व्यवस्थाएं चुस्त एवं दुरुस्त रहें तो इस तरह के निकम्में, निकृष्ट, लापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों को सिर्फ वेतन काटने क सजा न देकर इनको बर्खास्त करने की आवश्यकता है ऐसे ही लोगों की वजह से शासन प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं।
ग्वालियर, भिण्ड/ आलोक भारद्वाज
सरकारी सिस्टम में लचर व्यवस्था से हर कोई बाकिफ है। सरकारी तंत्र इतना कमजोर हो चुका है कि आम जनता को हमेशा सरकारी सिस्टम के आगे चप्पलें घिसने को मजबूर होना पड़ता है। किसी भी विभाग में जाकर देख लो एक फाइल को आगे बढ़ाने के लिए आम नागरिकों को महीनों सालों तक सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते है। हद तो तब हो जाती है जब सरकारी अधिकारी भी इन अनियमितताओं को रोकने में नाकामयाब होते नजर आते है। भिण्ड जिले में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जहां भिण्ड कलेक्टर ने अनियमिताओं के चलते ५ शासकीय सेवकों का एक सप्ताह का वेतन रोक दिया। अब सवाल ये उठता है कि क्या सरकारी तंत्र को मात्र एक सप्ताह के वेतन रोकने से सुधारा जा सकता है? वैसे देखा जाए तो भिण्ड के जिलाधीश की कार्यवाही की प्रशंसा करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने अनियमिताओं के चलते दण्डात्मक कार्यवाही की लेकिन क्या जिलाधीश यह नहीं समझ पाये की इस तरह की लापरवाही में दण्ड के रूप में सस्पेन्ड/ बर्खास्त की कार्यवाही होनी चाहिए। थी लेकिन वहां जिलाधीश ने मात्र एक सप्ताह का वेतन रोकने जैसी सजा देकर फिर से सरकारी तंत्र को लचर जरूर बना दिया है। क्योंकि वेतन रोकना कोई दण्ड नहीं होता। उल्लेखनीय है कि भिण्ड कलेक्टर ने १३/९/२१ को एक आदेश जारी किया था, जिसमें सीएम हेल्पलाइन के निराकरण में रुचि न लेने के कारण कलेक्टर भिण्ड ने दण्डात्मक कार्यवाही को अंजाम दिया। इस कार्यवाही में कलेक्टर ने ५ अधिकारियों को दण्ड के रूप में एक सप्ताह का वेतन रोकने जैसी कार्यवाही की। इस कार्यवाही से कलेक्टर साहब ने यह जरूर संदेश दे दिया है कि, सरकारी तंत्र को कितना भी कमजोर करो लेकिन दण्ड के रूप में सिर्फ मामूली सी ही सजा मिलनी है। आपको बता दें कि १३/९/२१ को कलेक्टर कार्यालय के सभागार में एक बैठक आयोजित की जिसमें कलेक्टर ने उन अधिकारियों को चिन्हित किया जिन्होंने सीएम हेल्पलाइन के निराकरण में रूचि नहीं दिखाई। जिसकी वजह काफी समय सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों में बढ़ोतरी देखी जा रही थी। जिसके मद्देनजर भिण्ड कलेक्टर ने आयोजित बैठक में आदेश जारी किया जिसमें सभी दोषियों पर एक सप्ताह के वेतन रोकने जैसी कार्यवाही की। जिसमें सतेन्द्र सिंह भदौरिया एई पीएचई भिण्ड, केसी झा एई ..पीएई भिण्ड, सुनील मुद्गल जेएसओ खाद्य एवं आपूर्ति भिण्ड, महेन्द्र कुमार गुप्ता तहसीलदार मौ. शिवचीर सिंह परिहार एसडीओ पीडब्लूडी लहार पर एक सप्ताह का वेतन रोकने का आदेश पारित किया। इस कार्यवाही से यही लग रहा है कि कलेक्टर साहब ने कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर दी है। क्योंकि जिस प्रकार अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरती है उसके मद्देनजर इन पर दण्डात्मक कार्यवाही कर बर्खास्तगी जैसी कार्यवाही करनी चाहिए थी।
कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति
जिस प्रकार कलेक्टर साहब ने सीएम हेल्पलाइन में बरती गई लापरवाही को लेकर कड़ा ऐक्शन लिया तथा दण्डात्मक कार्यवाही के रूप में मात्र एक सप्ताह का वेतन रोकने जैसी कार्यवाही की है। उसके बजाय संबंधित अधिकारी पर जांच के आदेश देने चाहिए थे तथा यह भी जांच कराई चाहिए थी की उक्त अधिकारी ने और कौन-कौन सी अनियमिताएं की है। लेकिन साहब ने तो मात्र हल्की सी कार्यवाही करके इतिश्री कर दी। सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों में लापरवाही बरतने पर कई अधिकारी घो चुके है नौकरी से हाथ उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान की अनुशंसा पर जनता को तुरंत न्याय मिले, उसके लिए सीएम हेल्पलाइन की सेवा शुरू की थी। कुछ समय बाद इस सेवा से लाखों लोगों को तुरंत न्याय मिला भी। जिसकी वजह से हर कोई सीएम हेल्पलाइन की ही आस लगाए बैठा है, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से इस सेवा पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है। एक समय था कि जब सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करने पर तुरंत कानूनी कार्यवाही शुरू हो जाती थी लेकिन वर्तमान में शिकायत पेंडिंग पड़ी रहती है। जिसकी वजह से लोगों को समय पर कानूनी सहायता नहीं मिल पा रही है। हालांकि सरकार ने इसके लिए भी उचित व्यवस्था कर दी है और ऐसे अधिकारी जो प्रकरण को समय पर नहीं सुलझाते उन्हें दण्डित करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिसमें पूर्व में कई अधिकारियों को लापरवाही के चलते नौकरी तक से हाथ धोना पड़ गया था। लेकिन भिण्ड कलेक्टर के इस दिखावटी कार्यवाही से तो यही लगता है कि भविष्य में सीएम हेल्पलाइन की सेवा भी मात्र एक खानापूर्ति बन कर ही रह जाएगी। क्या कलेक्टर साहब की इस कार्यवाही से होगा सुधार ? जिस प्रकार भिण्ड कलेक्टर ने तहसीलदार, एसडीओ पौडब्लूडी, एई पीएचई को दण्ड के रूप में एक समाह का वेतन रोका है, तो क्या इस कार्यवाही से भविष्य में सुधार होने के संकेत है? क्या सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों में लापरवाही बरतने में मात्र एक सप्ताह का वेतन रोकना ही कलेक्टर गाइडलाइन में लिखा है। क्या ऐसे लापरवाह, भ्रष्ट अधिकारियों पर नियमानुसार कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी? अगर नियमानुसार कार्यवाही का प्रावधान था तो कलेक्टर साहब ने क्यों नहीं को? कहाँ कलेक्टर साहब दोषियों को बचाने का भरपूर प्रयास तो नहीं कर रहे?