देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण सबसे बड़ी और कठिन चुनौती
सार्वभौमिक सत्य के अनुरूप निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या केवल भारत देश की ही नहीं, अपितु संसार के अधिकतम देशों के लिए समस्या के चहारदीवारी तुल्य है। शायद हीं कोई ऐसा देश होगा जो इस समस्या से अछूता रह गया हो। जहाँ भारत का स्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवां है , वहीं दूसरी ओर जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा।
ऐसा नहीं है कि शेष देशों में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चिंताएं नहीं है , चिंता एवं दुविधा उनके पास भी तात्कालिक भारत के समान ही थी। किन्तु उन सभी देशों द्वारा कई ऐसे मुहिम एवं सरकारी योजनाओं का क्रियान्वन किया गया। जिसके द्वारा सभी देश जनसंख्या को नियंत्रित करने में आशातीत सफलता को प्राप्त करने में सफल घोषित हुए।
उदाहरण के तौर पर हम चीन देश को ले सकते हैं, जिसकी गणना संसार के अग्रणी देशों ( जनसंख्या दृष्टि से ) में की जाती है। वहां पर भी कुछ ऐसी दिक्कतों एवं परेशानियों का सामना चीन के स्थानीय नागरिक कर रहे थे। परन्तु उनके द्वारा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर विभिन्न प्रकार के नियम एवं कानून तत्कालीन सरकार के द्वारा बनाए गए, जिसके फलस्वरूप वे सभी इस समस्या से निजाद प्राप्त करने में सफल हुए।
प्रसिद्ध जनांकिकी अर्थशास्त्री माल्थस का यह कथन है कि जनसंख्या वृद्धि के केवल दो प्रमुख कारण हैं
१- उच्च जन्म दर २- निम्न मृत्यु दर
माल्थस ने भारत के संदर्भ में कहा है कि “पहले लोग गरीब इसलिए नहीं हुआ करते थे कि उनके परिवार बड़े थे , अपितु लोगों के परिवार इसलिए बड़े थे क्योंकि वे लोग गरीब थे।” जिसका अर्थ यह है कि तत्कालीन समय में प्लेग, हैजा जैसी बीमारियों से निपटने के लिए निम्न तबकों के पास उतने पैसे नहीं थे। इसलिए वे 08-10 बच्चों को जन्म देते थे जिसके फलस्वरूप कालांतर में उनके पास केवल 03-04 बच्चे ही शेष रह जाते थे। शेष सभी प्लेग, हैजा जैसी घातक बीमारियों के शिकार हो जाते थे और कालांतर में उनकी मृत्यु हो जाती थी। किन्तु आज जहां वर्तमान समय में देश में सभी प्रकार की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधा सरकार द्वारा मुहैया कराई जा रही हो, वहां यह बात नागवार सी गुजरती है।
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सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक मानक के अनुरूप नीतियों का क्रियान्वयन करवाना होगा। जिसमें प्रशासनिक शिथिलता का नाममात्र भी स्पर्श न रहे। सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों में परिवार-नियोजन प्रणाली की विशेष समझ विकसित करनी होगी तथा सरकार द्वारा ऐसे नियम एवं कानून का निर्माण किया जाना चाहिए। जिसमें छोटे परिवार को बैंक ऋण कम ब्याज दर पर प्राप्त हो एवं इसके अतिरिक्त इनके द्वारा बैंक में निवेश करने पर इन्हें अतिरिक्त लाभ हो। तभी लोग छोटा परिवार सुखी परिवार को सामाजिक जीवन शैलियों में चरितार्थ करते नज़र आएंगे। इसके साथ-साथ जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए हमें इंडोनेशिया देश में चलाए गए सुहादो मॉडल को अपनाना होगा। तभी निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या से निज़ात पाया जा सकता है। अन्यथा इस जनसंख्या रूपी बीमारी से निजाद पाना उड़ते हुए पक्षी को पकड़ने के तुल्य है।
तात्कालिक सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि को देश के प्राथमिक समस्याओं के श्रेणी में रखकर शीघ्रता से इसका निवारण करना चाहिए
गौरतलब है की देश का विकास, देश की जनसंख्या से जुड़ा होता है। जिस देश में जितने अधिक लोग शिक्षित होते हैं वह देश उतना ही तीव्र गति से विकसित होता है। किन्तु बढ़ती हुई जनसंख्या से संसाधन भी कुछ सीमित लोगों तक ही पहुंच पाता है, शेष लोग इन सभी संसाधनों से अक्षुते रह जाते हैं। जिससे देश की विकास गति धीमी हो जाती है। देश की गणना सदैव हिन-दीन देशों में ही की जाती है। अतः तात्कालिक सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि को देश के प्राथमिक समस्याओं के श्रेणी में रखकर शीघ्रता से इसका निवारण करना चाहिए।
लेखक
शिवम दुबे, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय(Bhu)