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प्रशासन की मनाही के फिर भी पशु व्यापारियों पशु पालकों ने डेरा जमाया

आसिफ़ राजा फर्रुखाबाद

शमशाबाद फर्रुखाबाद। कार्तिक मेले को लेकर प्रशासन की मनाही के फिर भी पशु व्यापारियों पशु पालकों ने डेरा जमाया व्यापारियों को उम्मीद इस बार उनकी किस्मत कर द्वार जरूर खुलेंगे जानकारी के अनुसार ढाई घाट शमशाबाद की पवित्र गंगा नदी पर लगने वाला कार्तिक मेला जो 3 दिनों तक लगता है इस मेले पर आने श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर गंगा स्नान करते हैं वहीं अधिकांश लोग मेले में डेरा जमा कर क्रय विक्रय की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं मेले में किसानों द्वारा पशुओं का अच्छा खासा क्रय विक्रय किया जाता है इस मेले में फर्रुखाबाद से ही नहीं कन्नौज कानपुर हरदोई लखनऊ एटा फिरोजाबाद शिकोहाबाद बेवर मैनपुरी सहित तमाम इलाकों से पशु व्यापारी आते हैं और मेले में ठहर कर पशुओं की खरीदारी का कार्य करते हैं इस कार्य में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब मजदूर किसान भी अच्छी खासी भूमिका निभाते हैं वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बड़ी संख्या में पशुपालक अपने पशुओं की खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया को अंजाम देकर पशुओं का आदान प्रदान करते हैं बताते हैं ढाई घाट शमशाबाद की पवित्र गंगा नदी पर लगने वाला कार्तिक मेला सदियों पुराना है और सदियों से ही यहां भक्तगण व्यापारी किसान मजदूर झुग्गी झोपड़ियों के सहारे अपना वक्त गुजारते हैं तथा गंगा स्नान कर पुण्य का लाभ कमाते हैं किसानों का यह भी कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से कोविड-19 के खतरों के चलते हुए ढाई घाट शमशाबाद की गंगा नदी पर लगने वाला पवित्र मेला नही लग रहा है इस बार भी जिला प्रशासन द्वारा कोविड-19 के खतरे को देखते हुए मेले का आयोजन रद्द किया गया है सिर्फ स्नान ही अनिवार्य होगा स्नान करने वाले लोगों को ही प्राथमिकता दी जाएगी सूत्रों के मुताबिक बताया गया है ढाई घाट शमशाबाद की पवित्र गंगा नदी का दायरा जो फर्रुखाबाद शाहजहांपुर बॉर्डर पर स्थित है यहां दोनों जनपदों की सीमाओं में मेले का आयोजन होता है लेकिन प्रशासन के मनाही के बावजूद भी यहां आने वाले व्यापारियों को पुलिस द्वारा बैरंग लौटाया गया है गुरुवार को ढाई घाट शमशाबाद की गंगा नदी के किनारे तमाम व्यापारियों तथा पशुपालकों के पशुओं को देखा गया है सूत्रों के मुताबिक व्यापारी तथा किसान अपने अपने पशुओं का क्रय विक्रय करने के उद्देश्य यहां आए हुए हैं अब देखना है कि प्रशासन की सख्ती का असर इन व्यापारियों तथा किसानों पर कितना पड़ता है अथवा यूं ही गुमनामी के अंधेरे में अपने कारोबार को अंजाम देकर चले जाएंगे यह आने वाला वक्त ही बताएगा मालूम रहे ढाई घाट शमशाबाद की पवित्र गंगा नदी जहां कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर एक विशाल मेले जा आयोजन होता था इस मेले में कई जनपदों के व्यापारी अपनी अपनी दुकानें सजाया करते थे यहां बड़ी संख्या में आने वाले भक्त गंगा नदी के किनारे डेरा जमा कर भगवान की आराधना तथा गंगा स्नान कर देश में सुख समृद्धि की कामनाये किया करते थे लेकिन पिछले कुछ बरसों से कोविड-19 जैसी खतरनाक बीमारी ने हर किसी को सीमित रहने पर मजबूर कर दिया जिससे अधिकांश लोगों की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ा मेहनत मजदूरी के सहारे रोजी रोटी कमाने वाले लोगों को इस वक्त भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है भला हो सरकार का जो गरीबों को दो वक्त का निवाला उपलब्ध कराने के लिए निशुल्क राशन दे रही है अन्यथा गरीबों की तो सामत निश्चित थी।

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