संगम विहार तेरा कौन है जिम्मेदार ?
संगम विहार तेरा कौन है जिम्मेदार ?
पानी से भरी हुई सड़कें, रहवासियों के लिए बनी मुसीबत
नई दिल्ली:- (मोमना बेगम) वर्षा ऋतु के माह में अक्सर देखने को मिलता है कि दिल्ली प्रदेश के कई जगह पानी का भराव हो जाता है, कई जगह वर्षा खत्म होने के बाद कुछ समय के अंतराल में पानी बेहकर निकल जाता है। लेकिन संगम विहार का हाल देख रहवासी अक्सर यह सोचते हैं कोई तो जनप्रतिनिधि इस समस्या का निवारण करने हेतु जिम्मेदारी लेकर इस घनघोर समस्या से छुटकारा दिलाए।
ज्ञात हो कि संगम विहार दिल्ली की एक विशालकाय कॉलोनी है इस घनी आबादी वाले क्षेत्र में सड़कों पर वर्षा ऋतु का पानी भर जाने तथा पानी की निकासी की समस्या बेहद गंभीर है लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि तथा जिम्मेदार व्यक्ति इस समस्या से क्षेत्रवासियों को छुटकारा नहीं दिला पाया।
नगर निगम चुनाव हो या विधानसभा, चुनावी दौरों में प्रत्याशियों द्वारा किए जाने वाले वादे उनके कार्यकाल में दिखाई देते हैं क्योंकि उन्हें जनता का अमूल्य मत लेकर विजय होना होता है। और जीतने के बाद क्षेत्र लावारिस सा नजर आने लगता है ? यही हाल संगम विहार का है बारिश और नालियों का पानी सड़कों पर बहने से आवागमन ठप हो जाना आम हो गया है। क्षेत्रवासियों को कॉलोनी से बाहर निकलने में कई जतन करने होते हैं सकड़ी सकड़ी छोटी पतली गलियों से गुजर कर बाहर निकलना होता है उसमें भी जाम की समस्या रह वासियों के लिए सर का दर्द बन चुकी है।
ऐसे में जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वह जनता से किए हुए वादे पूरे करें और इस घनघोर समस्या का समाधान हो ताकि जीतने वाले नेताओं का भी मान सम्मान जनता के बीच बना रहे। अन्यथा आगामी चुनाव में यही जनता उन नेताओं को सबक सिखाने के लिए बैठी है जिन्होंने जनता के बीच खड़े रहकर झूठे वादे किए और उन्हें पूरा करने में असमर्थ हो रहे है।
संगम विहार की नालियों का यह हाल है कि आधी से ज्यादा ना लिया चोक पड़ी हुई अगर समय रहते वर्षा ऋतु से पहले इन सभी नालियों की सफाई पूर्ण रूप से कर दी जाती तो हालात इतने गंभीर नहीं होते परंतु नालियों में जमा हुआ कचरा वर्षा ऋतु में बहने वाले पानी के निकास को ही बंद कर दिया, स्वाभाविक है कि ऐसे हालातों में पानी रोड पर ही भी जमा होना है। कहीं-कहीं तो ऐसे दृश्य भी देखने को मिले कि व्यक्ति घर से बाहर निकलने में भी असमर्थ हो रहा है, अब ऐसे में किसे जिम्मेदार ठहराया जाए किसे नहीं कहा नहीं जा सकता। क्षेत्रीय पार्षद विशेषकर वर्षा ऋतु के पूर्व इन समस्याओं पर ध्यान देते तो कुछ हद तक परेशानी कम हो सकती थी। लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। लाचार भोली भाली जनता रेंग रेंग कर चलने पर मजबूर है, लेकिन इस समस्या की जिम्मेदारी कोई लेने वाला नहीं।