अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स की छठी का समापन हुआ
अकीदतमंद फुल चादर लेकर दरगाह पहुंचे
अजमेर। राज. :- सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 810वां उर्स मंगलवार को कुल की रस्म के साथ सम्पन्न हो गया। कुल की रस्म के दौरान अकीदतमंद में गजब का जुनून देखने को मिला। लोग जहां जगह मिली वहां खड़े हो गए। छठी की दुआ के दौरान तो दरगाह परिसर सहित आस-पास के भवनों की छते भी जायरीन से अटी नजर आई।
कुल की रस्म के दौरान दरगाह परिसर सुबह जल्दी ही जायरीन से खचाखच भर गया। इस दौरान दरगाह क्षेत्र में भी तमाम गलिया जायरीन से अटी रही। लोग एक-दूसरे से सट कर चल रहे थे और धक्का-मुक्की के आलम में ही दरगाह तक पहुंच रहे थे।
दरगाह के खादिम सैयद शकील अहमद चिश्ती ने बताया कि दरगाह में मंगलवार सुबह 8 बजे कुल की रस्म के लिए आस्ताना शरीफ आम जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। इसके बाद खादिम समुदाय के लोग ही आस्ताना में रहे। उन्होंने एक-दूसरे की दस्तारबंदी की और उर्स की मुबारकबाद दी। इस दौरान अंजुमन की ओर से कव्वालियों के साथ चादर पेश की गई और मुल्क में अमन-चैन की दुआ हुई। खादिमों के साथ बच्चे भी नए कपड़े पहन कर दरगाह पहुंचे और दस्तारबंदी करवाई। उधर महफिलखाने में कुल की महफिल शुरू हुई। इसमें शाही चौकी के कव्वालों ने रंग और बधावा पढ़ा। इस पर लोग झूमने को मजबूर हो गए।
दोपहर 1.15 बजे दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन महफिलखाने से आस्ताना में गए। वहां कुल की रस्म हुई। इस दौरान कलंदर नाचते-गाते महफिलखाने पहुंच गए। उन्होंने दीवान की गद्दी पर बैठ कर दागोल की रस्म अदा की और हैरत अंगेज कारनामे दिखाए। उर्स सम्पन्न होने के साथ ही आस्ताना में रोजाना होने वाली खिदमत का समय भी बदल गया है। खिदमत अब रोजाना दोपहर 3 बजे होगी।
उर्स में खोला गया जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया है। इसी के साथ जायरीन के लौटने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। बड़े कुल की रस्म 11 फरवरी को होगी। इस दिन गुलाबजल और केवड़े से दरगाह के विभिन्न स्थानों की धुलाई की जाएगी। तब तक उर्स की रौनक बनी रहेगी।