इंसान इमाम की सीरत और उनके पैगाम पर अमल करे – मौलाना जैदी

ग्यारहवें इमाम हसन असकरी की पैदाइश पर हुई महफ़िल
इन्तिजार अहमद खान
इटावा। स्थानीय घटिया अज़मत अली स्थित मस्जिद पंजतनी में पूर्व पेशकार जिला जज अली मेहदी की ओर से ग्यारहवें इमाम हसन असकरी की पैदाइश के खुशनुमा मौके पर महफ़िल का आयोजन किया गया।
महफ़िल की अध्यक्षता करते हुए मौलाना अनवारुल हसन जैदी इमामे जुमा इटावा ने कहा कि इमाम हसन असकरी का जन्म सन 232 में मदीने में हुआ और सन 260 में उन्हें इराक के सामरा में जहर देकर शहीद कर दिया गया। जब इमाम हसन असकरी की शहादत हुई उस समर उनके बेटे इमाम मेहदी पांच साल के थे। इमाम हसन असकरी का संदेश है कि किसी के राज को उजागर न करो और ख्वाहिश से बचो ये दोनों इंसान को तबाही की तरफ ले जाती हैं। इमाम असकरी के अपने शागिर्दों को लोगों तक इल्म पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी। श्री जैदी ने कहा इमाम से मोहब्बत करने वालों की यह जिम्मेदारी है कि वह इमामों की सीरत और उनके दिए पैगाम पर अमल करें। महफ़िल में सलीम रज़ा ने कलाम पेश करते हुए कहा महकता है देखो चमन फ़ातिमा का, दोबारा है आया हसन फ़ातिमा का। सफीर हैदर ने कहा हसन के हुस्न की खैरात बटने वाली है, फलक नशी भी हैं बोरियां बिछाए हुए। अली मेहदी और आसिफ रिजवी अश्शू ने भी कलाम पेश किए। महफ़िल में अल्हाज कमर अब्बास नकवी करबलाई, हाजी अरशद मरगूब, राहत अक़ील, शावेज़ नक़वी, मो. मियां, मो. अब्बास, हसन अब्बास, ज़हूर नक़वी, मो. अहमद, शौजब रिज़वी, राहिल, जीशान हैदर, अली साबिर, परवेज हसनैन, हम्माद, फ़ातिक, मिनहाज नक़वी, आरिफ रिज़वी, शारिब, समर सग़ीर, मो. जावेद, मो. शाहिद आदि उपस्थित रहे।