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ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य, शहादत और राष्ट्र के गद्दारों को करारा जवाब


✍️ रजत श्रीवास्तव


जब भी भारत माता पर संकट आया है, उसके वीर सपूतों ने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे को सिंदूर चढ़ाया है। “ऑपरेशन सिंदूर” भी ऐसी ही एक गौरवगाथा है, जिसने आतंक को उसके बिल में घुसकर मारा और पाकिस्तान को उसके पुराने घावों की याद दिला दी।

सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई ने बता दिया कि भारत अब सिर्फ निंदा प्रस्ताव नहीं लाता, जवाबी हमला करता है—वो भी ऐसा कि दुश्मन के मुँह से नाम तक न निकल पाए।

पहलगाम की घाटियाँ, जो कभी आतंक की नर्सरी रही थीं, अब वीरता की गाथाओं से गूंज रही हैं। अमरनाथ यात्रा पर बुरी नज़र डालने वालों को हमारे जवानों ने उसी धरती में दफना दिया। अब वहां नफरत नहीं, शौर्य की हवा बहती है।

इस अभियान में कर्नल सोफिया खुरैशी का नेतृत्व खास रहा। वे केवल महिला अफसर नहीं, भारतीय सेना की शौर्य-शक्ति हैं। दुर्भाग्यवश, देश के कुछ राजनीतिक ‘भोंपू’ उनकी वीरता पर प्रश्नचिह्न लगा बैठे। यह वैसा ही है जैसे कौआ सूरज पर छींटाकशी करे। देश को ऐसे ट्रेंड के भूखे प्रवक्ताओं से NCC की ट्रेनिंग की सख्त ज़रूरत है।

ऑपरेशन सिंदूर एक स्पष्ट संदेश है:
“भारत शांति चाहता है, लेकिन कोई हाथ उठाए तो जबड़ा तोड़ देता है।”
यह अभियान न केवल आतंक के खिलाफ जीत है, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को फिर से जाग्रत करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण भी है।

“जब देश बोल रहा हो, तब राजनीति को चुप रहना चाहिए।”

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