कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया संग्रहालय से जोड़ेंगे अमर सेनानियों की क्रान्तिकारी विरासत: सुधींद्र

इन्तिजार अहमद खान
इटावा। जनपद के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के नाम से इटावा में स्थापित संग्रहालय में देश और खासकर इटावा – औरैया की धरती के महान क्रांतिकारी सपूतों की स्मृतियों को संजोया जाएगा ताकि वर्तमान और आने वाली पीढ़ी हमारे सेनानियों के क्रांतिकारी व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा और मार्गदर्शन लेती रहे।
ये बात जनपद की माटी के अमर सपूत महान क्रांतिकारी एवं पूर्व सांसद कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया की 21 वीं पुण्य तिथि पर नेविल रोड (बस स्टैंड के सामने) स्थित कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया संग्रहालय परिसर में आयोजित श्रद्धांजलि संगोष्ठी में देश के जाने माने विचारक एवं कमांडर भदौरिया के पुत्र सुधींद्र भदौरिया ने कही। उन्होंने कहा कि देश के सेनानी परिवारों की एक बहुत बड़ी विरासत से हमारे बाबूजी कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया जी का संपर्क और जुड़ाव रहा है, खासकर इटावा औरैया की माटी के सेनानी सपूतों में गेंदालाल दीक्षित, वल्लभ जी, मौलवी फिदा हुसैन, कृष्ण लाल जैन, गंगाराम धानुक, देवीदयाल दुबे के अलावा महिला सेनानियों में भी, मेरी सेनानी माताजी श्रीमती सरला भदौरियाजी से जुड़ी रही सुचेता कृपलानी जी, दुर्गाबाई देशमुख आदि अनेक सेनानी शख्सियतों के ऐसे नाम हैं, जिनकी स्मृतियां इस संग्रहालय में संजोई जाएंगी। इसके लिए शीघ्र ही एक बड़ा कार्यक्रम होगा, जिसमें उन सेनानी परिवारों के वारिसों तथा कमांडर साहब से जुड़े रहे लोगों का सम्मान भी किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने कहा कि देश की आजादी और उसके बाद समाज के अंतिम व्यक्ति के हक के लिए प्राण पण से संघर्ष करने वाला कमांडर भदौरिया जैसा व्यक्ति अब इस धरती पर दूसरा कोई नहीं हो सकता। स्तंभकार गणेश ज्ञानार्थी ने कहा कि कमांडर साहब जो आदर्श मूल्य हमारे लिए छोड़कर गए हैं, यदि उन्हें हम सब कमांडर के लोग अगली पीढ़ी तक पहुंचा सके तो सेनानियों के सपने वास्तव में साकार हो सकेंगे। वरिष्ठ पत्रकार डा. जयचंद्र भदौरिया ने कहा कि कमांडर साहब का परमहंसी व्यक्तित्व था,जिनका सभी से आत्मीय और उदारतापूर्ण रिश्ता रहा। उन्होंने जीवनभर समतामूलक समाज की स्थापना के लिए डटकर संघर्ष किया। लखनऊ से पधारे वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्रिपाठी ने कहा कि अगर आप अपने पुरखों को याद नहीं करेंगे तो आपको भी कोई याद नहीं रखेगा। कमांडर साहब को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम सब समाज में सामंजस्य एवं प्रेम बढ़ाने के रास्ते पर चलें।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए कमांडर भदौरिया के घनिष्ठ शागिर्द और सहयोगी रहे खादिम अब्बास ने उनसे जुड़ी अनेक स्मृतियों को ताजा किया। गोष्ठी में सुधीर मिश्र, प्रेरणा दीक्षित, सलीम खान, शिक्षक राजवीर सिंह, सुरेश चंद्र शंखवार, चंद्रवीर सिंह चौहान, नासिर जलील एडवोकेट समेत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से आए अनेक लोगों ने कमांडर भदौरिया को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
अंत में कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के पौत्र सिद्धार्थ भदौरिया ने सभी का आभार जताया।