मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स मामला : कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री ने उठाये सवाल, 3000 किलोग्राम हेरोइन का मालिक कौन है ? उसे छिपाया क्यों जा रहा है – दिग्विजय सिंह
क्रूज़ ड्रग्स केस में बीते दिनों आर्यन खान तथा अन्य आरोपियों को जमानत मिलने के बाद अब गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई 21 हजार करोड़ रुपये की ‘हेरोइन’ का मामला उठेगा। करीब तीन हजार किलोग्राम की इतनी बड़ी खेप, पहली बार हाथ लगी है।
इसे डीआरआई ने पकड़ा था। शुरुआती जांच में कुछ गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन बाद में इस केस की जांच एनआईए को सौंप दी गई।
कांग्रेस पार्टी के नेता व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शनिवार को इस मामले में कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 3000 किलोग्राम हेरोइन का मालिक कौन है। उसे छिपाया क्यों जा रहा है। इस मामले में अफगानिस्तान का कनेक्शन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश हो सकती है। दिग्विजय ने अपने ट्वीटर पर लिखा कि क्या ये मामला काले धन का सबसे बड़ा स्त्रोत है। ये भी तो संभव है कि यह ड्रग, आतंकी गतिविधियों के लिए राजस्व जुटाने का एक जरिया हो। प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री चुप क्यों हैं।
Is it not the biggest source of Black Money?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 30, 2021
Is Drug biggest source of Revenue to fund Terrorism?
Is ISI Pakistan Intelligence Agency not connected to Drug Racket?
Why Home Minister Finance Minster and Prime Minster quiet about it? https://t.co/0il6q7PML5
दरअसल, सितंबर में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई हेरोइन की इतनी बड़ी खेप के बाद जांच एजेंसियों में हड़कंप मच गया था। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर प्रेसवार्ता कर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया। उसके बाद भी पार्टी नेताओं द्वारा लगातार इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी की जाती रही। दिग्विजय सिंह ने लिखा कि 3000 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी गई है, लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं कर रहा है।
दिग्विजय सिंह लिखते हैं, इस बाबत कोई बातचीत क्यों नहीं कर रहा है। हेरोइन की इतनी बड़ी खेप में अफगानिस्तान का कनेक्शन क्या है। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा नहीं है। देश में नशे की इतनी बड़े खेप का पहुंचना, क्या यह देश के युवाओं के लिए खतरा नहीं है। देश जानना चाहता है कि सरकार क्या छिपा रही है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा था, आखिर क्या कारण है कि पिछले 18 महीने में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का कोई पूर्णकालिक महानिदेशक नहीं बनाया जा सका। ये सबसे महत्वपूर्ण विभाग है, जो मादक पदार्थों पर निगरानी रखता है। डेढ़ साल तक कोई पूर्णकालिक महानिदेशक न होना, सवाल खड़े करता है।
गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पकड़ी गई 21 हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स ने राजनीतिक तौर पर खलबली मचाई थी। अफगानिस्तान से ईरान के बंदरगाह होते हुए गुजरात पहुंची ‘नशे’ की खेप को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पकड़ लिया। कई लोगों को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरु की गई थी। पवन खेड़ा के मुताबिक, वैसे यह काम तो नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) का है। उसे गुजरात में 3,000 किलोग्राम हेरोइन पकड़नी चाहिए थी। सामान्य जांच के दौरान ‘डीआरआई’ ने मामला पकड़ लिया।
मुंबई में सिनेमा जगत के सितारों के यहां छापे मारकर दस ग्राम-बीस ग्राम नशा बरामद कर सुर्खियां बटोरने वाली ‘एनसीबी’ को स्थायी डीजी क्यों नहीं मिल रहा। एनसीबी में सिपाही, ड्राइवर, इंटेलिजेंस अफसर, डीडीजी, डीडी/जेडडी से लेकर डीजी’ तक के पद खाली पड़े हैं। 18 माह से ब्यूरो में स्थायी डीजी नहीं है। केंद्र में दर्जनों ‘आईपीएस’ डीजी और एडीजी रैंक की इम्पैनल सूची में शामिल हैं। इसके बाद भी किसी आईपीएस को एनसीबी के डीजी का स्थायी प्रभार नहीं दिया जा रहा।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, डीआरआई, ईडी, सीबीआई, आईबी, क्या सोए पड़े हैं या फिर उन्हें प्रधानमंत्री के विपक्षियों से बदला लेने से फुर्सत नहीं है। क्या यह सीधे-सीधे देश के युवाओं को नशे में धकेलने का षड़यंत्र नहीं। क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं, क्योंकि यह इस ड्रग्स के तार तालिबान और अफगानिस्तान से जुड़े हैं। क्या ड्रग माफिया को सरकार में बैठे किसी सफेदपोश का और सरकारी एजेंसियों का संरक्षण प्राप्त है। अडानी मुंद्रा पोर्ट की जांच क्यों नहीं की गई। क्या प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार, देश की सुरक्षा में फेल नहीं हो गए हैं। क्या ऐसे में पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज का कमीशन बना कर जांच नहीं होनी चाहिए। इसके बाद ही इस मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। एनआईए ने इस केस में दिल्ली एनसीआर में छापे मारे थे। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।