शिव की नगरी काशी में देव दीपावली पर धरती पर हुई स्वर्ग की अनुभूति
वाराणसी ब्यूरो
वाराणसी।देव दीपावली पर पौराणिक नगरी काशी के घाट लगभग 15 लाख मिट्टी के दीपों से जगमगा रहे है। वहीं लेजर शो का माध्यम से इस उत्सव को और भी भव्यता दी गई है। काशी के 84 घाटों के साथ कुंडों-तालाबो इस तरह से सजाया गया है कि मानो पूरा देव लोक पृथ्वी पर आ गया हो।
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवलोक से स्वयं भगवान धरती पर उतरते हैं, गंगा स्नान करते हैं, और दीपावली मानते हैं। जिसजे लिए पूरे काशी को उनके स्वागत में सजाया जाता हैं। पूरे ब्रह्मांड में जिसमें पाताल लोक, देव लोक, एवं पृथ्वी लोक शामिल है। उसी पृथ्वी लोक पर देव दीपावली का दिव्य पर्व सिर्फ पौराणिक व आध्यात्मिक नगरी काशी में मनाया जाता रहा है, जो कि पुराणों में भी वर्णित है। इस पावन अवसर पर बाबा विश्वनाथ व अन्न-धन की देवी माता अन्नपूर्णा की काशी नगरी में इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए देवताओं का आगमन भी होता है।
इस दिव्य पर्व को देखकर देवी देवताओं का मन प्रसन्न होता है और मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ जी की नगरी व संपूर्ण पृथ्वी लोक सुखमय एवं समृद्धि का जीवन व्यतीत कर रहा है और पुनः देवताओं का आगमन देवलोक हो जाता है।
पुराणों में इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। अपने प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे, भगवान को यह अवतार देव के रक्षा प्रलय के अंत तक सप्तर्षियों अनाजों व राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।