श्री काशी विश्वनाथ धाम : यूपी के इन अफसरों के सामर्थ्य ने कर दिखाया असंभव को संभव
वाराणसी ब्यूरो
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्री काशी विश्वनाथ धाम आखिरकार लोकार्पित हो चुका है। बीते 33 महीनों तक चले सतत निर्माण कार्य के बाद अंतत: भव्य धाम ने अलौकिक रूप धारण कर लिया है। इस दौरान प्रतिदिन हजारों कारीगर जहां धाम को पत्थरों, लकड़ियों, संगमरमर पर गढ़ने में जी-जान से जुटे थे तो वहीं इससे काफी पहले से ही कागजों पर मैराथन मशक्कत करने वाले अफसरों ने भी श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिये बहुत पसीना बहाया है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम जैसे असंभव लगने वाले काम को प्रोजेक्ट को जिन अधिकारियों ने संभव कर दिखाया है उनकी भी कुछ चर्चा कर ली जाए। आइये जानते हैं वो कौन-कौन से अफसर हैं जिन्होंने सबसे पहले अपने दिमाग में इस धाम के पूरे खाके को तैयार किया, इसके बाद पूरी परियोजना को कागजों पर उतारा और फिर तमाम टूडी-थ्रीडी मॉडलों-प्रेजेंटेशनों से गुजरते हुए आखिरकार इसे साकार रूप देने में एक टीम लीडर की भूमिका निभाई।
अवनीश अवस्थी
यूपी के मौजूदा अपर मुख्य सचिव गृह एवं प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य विभाग अवनीश अवस्थी। ये IAS अफसर टीम योगी के सबसे ख़ास अधिकारी हैं। पूर्व में वाराणसी के जिलाधिकारी और कमिश्नर तथा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट कमान भी संभाल चुके हैं। वाराणसी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से लंबे समय तक जुड़े रहने का अनुभव उनके काफी काम आया, लिहाजा अवनीश अवस्थी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट को द्रुत गति से आगे बढ़ाने में स्थानीय अधिकारियों और प्रदेश सरकार के बीएच मज़बूत कड़ी के रूप में कार्य किया और श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट को लगातार यहां तक कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान भी कराते हुए आखिरकार तय समय में इसे पूरा करवाने में सफल रहे।
नितिन रमेश गोकर्ण
यूपी के मौजूदा मुख्य सचिव, प्रदेश सरकार एवं पीडब्लूडी डिपार्टमेंट में तैनात आईएएस अफसर नितिन रमेश गोकर्ण का भी वाराणसी से लंबा प्रशासनिक नाता रहा है। वाराणसी में कमिश्नर और जिलाधिकारी दोनों ही पदों को सुशोभित कर चुके हैं नितिन रमेश गोकर्ण काशी के सांस्कृतिक विरासत को सहेजने वाले अफसर माने जाते हैं। कहा जाता है कि काशी के प्राचीन इतिहास की गहरी समझ रखने वाले नितिन रमेश गोकर्ण ने ही काफी साल पहले श्री काशी विश्वनाथ धाम की सोच उजागर की थी। 1987 बैच के IPS और 1987 बैच के IAS नितिन रमेश गोकर्ण वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति भी रह चुके हैं। यही नहीं उन्होंने काशी के प्राचीन इतिहास पर आधारित काशी सर्वप्रकाशिका नामक पुस्तक का संपादन भी किया है। इसके अलावा श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने लगातार स्थानीय अधिकारियों का मार्गदर्शन किया।
दीपक अग्रवाल
अब बारी आती है वाराणसी के मौजूदा कमिश्नर IAS दीपक अग्रवाल की जिन्होंने श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का शुरू से आखिर तक अपना नेतृत्व प्रदान किया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे पर उन्हें इसके हर प्रक्रिया की जानकारी को समझाया और उनके द्वारा दिए गए निर्देशों को जमीन पर उतारने के लिये दिन रात जी-जान से मेहनत की। आलम ये रहा कि कोविड लॉकडाउन से लेकर जाड़-गर्मी बरसात सभी मौसमों में दीपक अग्रवाल ने श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग की। चूंकि ये प्रोजेक्ट शुरू से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा इसलिये दीपक अग्रवाल की जिम्मेदारी और जवाबदेही कितनी ज्यादा रही होगी, इसे हर कोई समझ सकता है। 2000 बैच के आईएएस अफसर दीपक अग्रवाल को इसके अलावा इस रूप में भी पहचाना जाएगा कि उन्होंने वाराणसी मंडल के किसानों की फसलों जिसमें आम, मिर्ची, काला चावल, बैंगन आदि को विदेशों में एक्सपोर्ट करने का रास्ता तलाशा बल्कि उसे अमली जामा भी पहनाया।
सुरेन्द्र सिंह
अब हम बात करेंगे वाराणसी के पूर्व जिलाधिकारी रहे सुरेंद्र सिंह की, जिनके कार्यकाल में इस योजना का शुभारंभ हुआ। उत्तर प्रदेश के तेज़ तर्रार IAS ऑफिसर सुरेंद्र सिंह ने जब वाराणसी में जिलाधिकारी का पद संभाला तो उसके कुछ ही दिन बाद लोकसभा चुनाव-2019 का बिगुल बज गया। सुरेंद्र सिंह तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नामांकन पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में ग्रहण करके सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हुए। सुरेंद्र सिंह ने ही विश्वनाथ कॉरिडोर के कार्य को पंख लगाए और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास करने 8 मार्च 2019 को वाराणसी पहुंचे तो जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।
कौशल राज शर्मा
वाराणसी के मौजूदा जिलाधिकारी IAS कौशल राज शर्मा ने यहां कार्यभार संभालते ही विश्वनाथ धाम के कार्यों को तेज़ी से पूरा करवाने के लिए कार्यदायी संस्था के साथ जी-जान से मेहनत की। वाराणसी जैसे अति महत्वपूर्ण जिले की कमान संभालने वाले जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का पूरा कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण रहा। कभी कोरोना लॉकडाउन तो कभी टिड्डियों का हमला, कभी सीएए का विरोध और कोरोना की दूसरी लहर में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले के अभिभावक के रूप में नेतृत्व किया, इसके अलावा हर नये दिन के साथ जिले में तमाम वीवीआईपी मूवमेंट, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के दौरों के बीच श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट को निर्धारित समय में पूरा कराना कौशल राज शर्मा के लिये एक बड़ी चुनौती रही, जिसे उन्होंने अपने सामर्थ्य से पूरा करा लिया है। 2006 बैच के IAS ऑफिसर कौशल राज शर्मा को यूपी की राजधानी लखनऊ से वाराणसी की कमान संभालने के लिये स्थानांतरित किया गया था।
विशाल सिंह
एक नाम जिसे शायद विश्वनाथ धाम के शिलापट्ट पर स्थान भले ही न मिला हो, पर उनका नाम जब तक मौजूदा पीढ़ी रहेगी तबतक काशी वासियों के दिलो-दिमाग पर छाया रहेगा। वो नाम है मंदिर के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी और वर्तमान में अयोध्या के नगर आयुक्त IAS विशाल सिंह का। विशाल सिंह ने श्री काशी विश्वनाथ धाम के लिये भवनों की खरीद, के साथ ही दुकानदारों का विरोध, मस्जिद कमेटी द्वारा आधी रात को किये गए विरोध को झेला। यही नहीं तमाम धार्मिक और राजनीतिक संगठनों की ओर से उनकी तुलना ‘औरंगजेब’ तक से की गयी। मगर इसके बाद भी विशाल सिंह अपने कार्य से डिगे नहीं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिये कार्य को पूरा करवाने में जी जान से लगे रहे। साथ ही साथ कई सारी नयी योजनाओं का शुभारंभ भी करवाया, जिसमे ऑनलाइन प्रसाद और दर्शन अपने आप में नज़ीर हैं। उन्होंने कोरोना काल में न सिर्फ विश्वनाथ धाम का कार्य जारी रखवाया अपितु विश्वनाथ मंदिर की तरफ से ग़रीबों और प्रवासी यात्रियों में अन्न और भोजन भी बंटवाया।
गौरांग राठी
इसके बाद मंदिर के सीईओ बने 2014 बैच के IAS गौरांग राठी ने भी विशाल सिंह के काम को वहीँ से आगे बढ़ाया जहां से उन्हें विशाल सिंह ने सौंपा था। गौरांग राठी ने भी इस कार्य को तेज़ी से आगे बढ़ाया और समय-समय पर कार्यदायी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर संग बैठक कर कार्य को तेज़ी बनाये रखी। वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ और नगर आयुक्त रहे गौरांग राठी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के दौरान कई संगठनों का विरोध झेला और दृढ़ता से इस असंभव से लगने वाले कार्य को पूरा करने में जुटे रहे।
सुनील वर्मा
आखिरकार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का कार्य पूरा हो चुका है। मंदिर के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी गौरांग राठी के स्थानांतरण के बाद यहां चल रहे कार्यों की जिम्मेदारी पीसीएस अफसर सुनील वर्मा के ऊपर आन पड़ी। प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट होने के कारण और अपने निर्माण के अंतिम चरण में आते आते तमाम वीवीआईपी के दौरे इस धाम में होने लगे। इस दौरान सुनील वर्मा ने देश विदेश से आने वाली मीडिया को ना सिर्फ इस परिसर का माहत्म्य समझाया बल्कि इसकी ब्रांडिंग में इनकी विशेष भूमिका रही। मुख्य मंदिर से जुड़ी सभी जिम्मेदारियों को निभाते हुए आखिरकार सीईओ सुनील वर्मा के कार्यकाल में श्री काशी विश्वनाथ धाम का मौजूदा स्वरूप सामने आ गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को इस धाम का लोकार्पण कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को इस धाम का लोकार्पण कर दिया है। वैसे इन अधिकारियों के साथ ही तमाम आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, पीपीएस और सरकारी कर्मचारियों की लंबी शृंखला है, जिनके सामर्थ्य ने इस असंभव से लगने वाले कार्य को संभव कर दिखाया है।