शर्मनाक-न उम्र पूरी, और न कद, लेकिन पेट के खातिर नाबालिग धो रहे हैं वाहनों को, समाजसेवी व जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि सहित सब वे-खबर
प्रमोद भदौरिया
भिण्ड। कहते हैं मनुष्य के जीवन में पेट वह करा देता है जो न करना पड़े, जी हाँ, आज मैं आपको उस नाबालिग की कहानी को बयाँ करते हुये अवगत कराते हैं, जिसकी न तो उम्र पूरी है और न कद सिर्फ पेट के खातिर अपने से बड़े वाहनों को क्लीनर से धो रहा हैं, हो भी क्यों न मध्यमवर्गीय यह नाबालिग परिवर्तन नाम (अमन) की कहानी बड़ी विचित्र है, मैं अपनी बाइक को धुलवाने के लिए जब धुलाई सेंटर इटावा रोड़ पर पहुँचा तो वहाँ पानी का पाईप लिये एक नाबालिग पहले से ही बाइक को भीषण सूरज देवता के उग्र रूप में वह नाबालिग धो रहा था, पसीना से लथपथ थका,हारा, माथे पर सिर्फ हताशा नजर आ रही थी, मेरा मन नहीं हुआ अपनी बाइक को उस नाबालिग के हाथों से धुलवाने का, मैंने उस धुलाई सेंटर के मालिक के यहाँ जाकर पूछा आपके यहाँ कोई दूसरा व्यक्ति हो तो मेरी बाइक धोने के लिए तो बताओ, सेंटर मालिक बोला मेरे पास यही एक मात्र बालक है, आप धुलवाओ तो ठीक है और न धुलवाओ तो ठीक है, परन्तु मैंने सोच लिया था कि बाइक को जरूर धुलवाऊँगा परन्तु इस ऐवज में जो पैसा दूँगा वह सेंटर मालिक को कतई नहीं बस बालक को दूँगा, मैंने अपनी बाइक को धुलाई सेंटर पर लगाकर उस बालक को बुलाकर कहा कि जितना तुम धो सकते हो, उतनी तरीके से साफ कर दो, ज्यादा मेहनत मेरी बाइक पर मत करना, उसने कहा कि भैया एक बाइक को न धोने से क्या हो जायेगा, सुबह से सैकड़ो वाहनों की सफाई कर चुँका हुॅं, मैंने कहा कि ठीक है, पेट के खातिर तुम छोटी सी उम्र में इतनी मेहनत कर रहे हो, काश तुम्हारा मन भी खेलने-कूदने व पढ़ाई-लिखाई करने का होता होगा, उस अमन ने कहा कि भैया बिलकुल होता है, परन्तु कर क्या सकते हैं, शाम को अपने घर की रोजी-रोटी मेरे पेसों से ही चलेगी, मैंने कहा चलो तुमको आज का खर्चा में देता हूँ, उसने कहा कतई नहीं लेंगे, मालिक देख लेगा तो सब छुड़ा लेगा, मैंने कहा कि ऐसा भी है, तो तुम पचास रूपये लो तीस अपने मालिक को दे देना बीस तुम अलग से रख लो, बेचारा अमन सहमा हुआ था, उसकी पेट की पीड़ा हमसे देखी नहीं जा रही थी, परन्तु उन समाजसेवियों व जिला प्रशासन के नुमाइन्दों एवं जिले के नेताओं को कोस रहा था, कि कैसी दुर्दशा पैदा हो गई भिण्ड में, कोई किसी को देखने व सुध लेने वाला नहीं है, सब अपने कामों में मद मस्त होकर गरीबों को लुटेरों की तरह लूटने में लगे हुये हैं, मैं अपील उन नुमाइन्दों से करता हूँ कि तुम इन बेचारा अमन जैसे लोगों के पेट की भूँख मिठाकर देखो, ईश्वर तुमको अपनी गौदी मेें बैठा लेगा, परन्तु तुम तो लुटेरे की भूमिका के आदी हो गये हो, तुम्हारा क्या हश्र होगा, वो अपनी तीसरी आँख से सब देख रहा है। आपका अपना प्रमोद