देश मे शिक्षा कितनी जरूरी, कैसे तय होगा देश के बच्चों का भविष्य
नई दिल्ली:- वर्तमान के आधुनिक युग में व्यक्ति और देश के विकास में शिक्षा, साक्षरता के साथ-साथ कौशल का भी महत्व बढ़ गया है। साक्षरता, शिक्षा के साथ-साथ लोगों के पास कौशल या स्किल का होना भी जरूरी है। किसी भी देश के पास स्किलड या कौशल रूप से सक्षम लोगों का होना उसके विकास की गाड़ी दो दोगुना कर सकता है।
इसके साथ ही व्यक्ति का कौशल रूप से सक्षम होना उसे अच्छा रोजगार चुनने में मदद करता है और उसकी तकनीकी समझ को भी बेहतर बनाता है। यही कारण है कि भारत भी अब अपने पास मौजूद मैनपॉवर को स्किलड करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। महिलाओं एवं पुरूषों को साक्षरता, तकनीकी एवं वोकेशनल स्किल और रोजगार एवं उद्यम संबंधित कौशल सिखाए जाते हैं, जो प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों के विकास की दृष्टि से अहम है।
भारत में निरक्षता के बड़े पैमाने पर होने का कारण लोगों के बीच जागरूकता का न होना, गरीबी और शिक्षा का रोजगारपरक न होना है। साक्षरता बढ़ाने के लिए लोगों के बीच जागरूकता के साथ उनको प्रोत्साहन देना होगा। गरीबी की समस्या के कारण देश में बच्चों की एक बड़ी आबादी को परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करना पड़ता है।
पिछले वर्षों से ही कोरोना जैसी गंभीर महामारी के बीच बच्चों की शिक्षा अधूरी रही शासन प्रशासन ने अपने स्तर से परीक्षा और उसके परिणाम दिलाएं, जिसके बाद से ही शिक्षा का रूटीन दूसरे और तीसरे लहर के कारण टूटा हुआ है। आर्थिक स्थिति से टूटे हुए लोगों के लिए अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करना भी एक मुश्किल काम हो गया है। देश में रोजगार की मार ऊपर से शिक्षा से वंचित बच्चों का भविष्य क्या होगा इसके लिए भी परिजन चिंतित है।
परिजनों का कहना है कि देश की सरकार ने शिक्षा को लेकर गंभीर होने की आवश्यकता है शासकीय स्कूलों में प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधा, सुरक्षा एवं यंत्र व उपकरण होना चाहिए। बच्चों की बेहतर पढ़ाई के बदले परिजनों से शासकीय लगने वाला शुल्क ही वसूला जाना चाहिए। जिससे कि इस आर्थिक मंदी के दौर में उन पर शिक्षा बोझ न बन सके।
बीते दिनों स्कूलों कॉलेजों में ऑनलाइन शिक्षा का चलन शुरू किया गया जिसमें लैपटॉप, टेबलेट या मोबाइल जैसे उपकरणों से शिक्षा पूरी की जा सके, परंतु उसका भी साइड इफेक्ट बच्चों की आंखों पर पड़ने लगा। क्योंकि इन उपकरणों से निकलने वाली तेज रोशनी बच्चों की आंखों को नुकसान देह हो सकती है। परंतु इसके अतिरिक्त भी स्कूलों व कॉलेजों में फीस में कोई कमी नहीं आई, संचालकों ने पालको से खासा पैसा वसूल किया। राज्य और केंद्र सरकारों ने उस पर भी दिशानिर्देश तय किएबताकि पालको को दुगुनी मार न झेलना पड़े।
आज हालात ऐसे हो गए हैं कि अच्छी उच्च शिक्षा हासिल करना भी मुश्किल काम हो गया है जिसके लिए देश कि वर्तमान सरकार को गंभीर होने की आवश्यकता है। ताकि शिक्षित होकर बच्चे खुद एवं देश का भविष्य चुन सकें।