मजलूमों की मदद करना है इमाम हुसैन का पैगाम – फ़ीरोज़ हैदर. शहदीने कर्बला की याद में हुआ मजलिसों का आयोजन

इन्तिजार अहमद खान
इटावा। गम का प्रतीक मोहर्रम का महीना शुरू होने से पूर्व शहर में मजलिसों का आयोजन किया गया। मजलिसों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर गमे हुसैन मनाया।
दरगाह मौला अब्बास महेरे पर स्व. दीवान शम्सुल हसन ज़ैदी द्वारा स्थापित मजलिस नफीसुल हसन ज़ैदी की ओर से हुई। मोहर्रम की चांद रात पर शरीफ मंजिल सैदबाड़ा में राहत अक़ील शक्कन की ओर से मजलिस हुई, इन मजलिसों में मौलाना अनवारुल हसन ज़ैदी इमामे जुमा इटावा ने तक़रीर की। पक्की सराये स्थित बड़े इमामबाड़े में स्व. आलिम रिज़वी के इसाले सवाब की मजलिस में तक़रीर करते हुए मौलाना फ़ीरोज़ हैदर कानपुरी ने कहा पूरी दुनिया इमाम हुसैन को जानती है कि वह रसूल के नवासे हैं। इंसानियत को बचाने, हक पर चलने वाले को हुसैन कहते हैं। हुसैनियत का पैगाम है कि जालिम को जालिम कहो, हक पर चलो और इंसानियत को कायम कर मजलूमों की मदद करो। वो इंसान हुसैन वाला हो ही नहीं सकता जो मजलुमो का मददगार न हो। इमाम हुसैन की ताकत का नाम जनाबे मुस्लिम, मौला अब्बास, अली अकबर और जैनुल आबेदीन है। मौला अब्बास के होते हुए किसी की हिम्मत नहीं थी जो इमाम हुसैन की तरफ आंख उठाकर देख सके। मजलिस में अश्शू रिज़वी, सलमान रिज़वी, आबिद रज़ा, तालिब रिज़वी ने कलाम पेश किए। मजलिसों में हाजी कमर अब्बास नक़वी, हाजी अरशद मरगूब, राहत अक़ील, शावेज़ नक़वी, अयाज हुसैन, तस्लीम रजा, सलीम रजा, तनवीर हसन, राहत हुसैन रिज़वी, समर अब्बास, मो. मियां, राहत हुसैन रिज़वी, मो. अब्बास, मुशीर हैदर, तहसीन रजा, इबाद रिज़वी, ताबिश, परवेज हसनैन, राहिल, अदनान, सफीर हैदर, जीशान हैदर, हसन अब्बास, अमीर हैदर, शब्बर अक़ील, शारिक सगीर शानू, शादाब हसन, आरिफ रिज़वी, जुनैद, सोनू नक़वी, जावेद, राशिद, शौजब रिज़वी, फ़ातिक, दबीरुल हसन, रजी हैदर, राजा, शहजादे सहित बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।