इस्लामिया इंटर कॉलेज में आयोजित हुई उम्मीद पोर्टल पर कार्यशाला
इन्तिजार अहमद खान
इटावा। वक़्फ़, इस्लामी परंपरा का वह अनोखा संस्थान है जिसमें कोई भी मुसलमान अपनी संपत्ति, ज़मीन या संसाधन स्थायी रूप से अल्लाह की राह में समर्पित कर देता है। इसका उद्देश्य होता है कि वह संपत्ति सदैव मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों, यतीमख़ानों और समाज की भलाई में काम आए।
भारत जैसे बहुलवादी देश में जहाँ मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और रोज़गार की चुनौतियों से जूझ रहा है, वहाँ वक़्फ़ संपत्तियों का संरक्षण और सही उपयोग और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
उक्त उद्गार आज स्थानीय इस्लामिया इंटर कॉलेज इटावा में उम्मीद पोर्टल पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के कार्यपालक अधिकारी एस० एम० अफजा़ल काशिफ़ ने कहा कि क़ुरआन और हदीस में ऐसे दान का बड़ा महत्व बताया गया है जो इंसान के मरने के बाद भी समाज को लाभ पहुँचाता रहे।
वक़्फ़ एक ऐसा “सदक़ा-ए-जारीया” है जिसका सवाब लगातार दर्ज होता रहता है।
वक़्फ़ की दो प्रमुख शर्तें हैं : (1) यह स्थायी और अविक्रीत होता है, (2) इसे उसी उद्देश्य में खर्च करना पड़ता है जो वाक़िफ़ (वक़्फ़ करने वाले) ने तय किया हो।
श्री अफजाल काशिफ ने कहा कि वक़्फ़ इस्लाम की उस जीवंत परंपरा का नाम है जो समाज को सदियों तक फ़ायदा पहुँचाती है। भारत में वक़्फ़ संपत्तियाँ मुसलमानों की सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक ज़रूरतों का बड़ा सहारा हैं। 2025 का वक़्फ़ संशोधन अधिनियम भले विवादों में हो, लेकिन इसमें पंजीकरण और डिजिटलीकरण की जो व्यवस्था की गई है, वह वक़्फ़ संपत्तियों के संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम है।
समुदाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपनी संपत्तियों का पूरा और समय पर (UMEED) उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण करें, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ वक़्फ़ की वास्तविक नेमत से वंचित न रहें।
कार्यशाला के संयोजक और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल बोर्ड के कोऑर्डिनेटर मौलाना तारिक शम्सी ने कहा कि भारत में वक़्फ़ की परंपरा कई सदियों पुरानी है। दिल्ली सल्तनत और मुग़ल काल से लेकर आज़ादी तक, मुसलमानों ने शिक्षा, इबादतगाहों और जनकल्याण के लिए ज़मीनें और संपत्तियाँ वक़्फ़ कीं। आज़ादी के बाद भारतीय संसद ने वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए 1954 में कानून बनाया। इसके बाद 1995 का वक़्फ़ अधिनियम तथा 2013 का संशोधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसके तहत केंद्रीय वक़्फ़ परिषद और राज्य स्तरीय वक़्फ़ बोर्ड गठित किए गए। इसके बावजूद लाखों एकड़ वक़्फ़ ज़मीन पर सरकारी और गैर-सरकारी अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और ग़लत प्रबंधन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अभी हाल में ही 2025 में केंद्र सरकार ने वक़्फ़ अधिनियम में बड़े संशोधन किए और देश की सभी वक़्फ़ संपत्तियों का डिजिटलीकरण और रियल-टाइम डाटाबेस तैयार करने के लिए उम्मीद केन्द्रीयकृत पोर्टल लॉन्च किया गया है। जिसके तहत हर वक़्फ़ संपत्ति और मुतवल्ली को निर्धारित समय-सीमा में पोर्टल पर दर्ज करना होगा। जिसकी समय सीमा 5, दिसम्बर 2025 निर्धारित की गयी है। इसी तरह यदि कोई मुतवल्ली जानकारी छुपाता है या अतिक्रमण रोकने में नाकाम रहता है तो दंड और जेल की सख़्त धाराएँ लागू होंगी।
मास्टर ट्रेनर और सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ के कार्यपालक अधिकारी ऐजाज़ अहमद ने कहा कि अभी तक प्रदेश में UMEED उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण की गति काफी धीमी है। मुतवल्ली साहिबान तकनीकी कठिनाइयों और जागरूकता की कमी से जूझ रहे हैं। इसी लिए वक्फ बोर्ड द्वारा इस प्रकार की कार्यशालायें जिला स्तर पर आयोजित की जा रही हैं, ताकि समस्याओं का समाधान करते हुए जागरूकता लाई जा सके। अगर हम सब जागरूक और संगठित होकर अपनी वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण करेंगे तो न केवल उनकी रक्षा आसान होगी बल्कि वक़्फ़ की आमदनी से शिक्षा और रोज़गार जैसी सामाजिक ज़रूरी ज़रूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के कोआर्डिनेटर पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका परिषद फुरकान अहमद खान ने कहा कि जिला स्तर पर मुतवल्ली तथा प्रबंध समितियों के सहयोग के लिए व्यवस्था की जा रही है। जहां पोर्टल पर पंजीकरण के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। हमारी पूरी टीम आपके सहयोग के लिए हर समय तत्पर है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के कोआर्डिनेटर वरिष्ठ चिकित्सक डाक्टर अफ़ज़ाल अहमद खान बरकाती ने कहा कि वक़्फ़ जायदादें हमारे बुजुर्गों की अमानत हैं इसकी हिफाजत के लिए हमको हर कोशिश करना चाहिए हमारी जरा सी भी लापरवाही बड़े नुकसान का सब बन सकती है। जो संपत्तियां सरकारी या गैर सरकारी अतिक्रमण का शिकार हैं उनको और ऐसी तमाम जायदादों मस्जिद, ईदगाह, मदरसों तथा कब्रिस्तानों वगैरह को पोर्टल पर दर्ज कर सुरक्षित किया जा सकता है।
इस मौके पर इस्लामिया इंटर कालेज के प्रबंधक हाजी मुहम्मद अल्ताफ ने भी अपने विचार प्रकट किए।
अतिथियों का स्वागत तथा धन्यवाद वक्फ कोऑर्डिनेटर शाहनवाज आलम ने किया।
कार्यशाला का आरंभ कुरान की तिलावत से हाफ़िज़ हसन मुआविया तथा नात शरीफ से हाफ़िज़ मुहम्मद यहया ने किया जबकि संचालन मौलाना तारिक शम्सी ने किया। कार्यशाला में सहायक सर्वे वक्फ आयुक्त कार्यालय के प्रतिनिधि वक्फ निरीक्षक राम सुमेर भी मौजूद रहे। इस मौके पर इटावा व औरैया जनपद से लगभग 200 मुतवल्ली तथा प्रबंध समितियों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।