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समेकित एवं समग्र रूप में कृषि को देखना समय की आवश्यकता- डॉ मंगला राय

आईआईवीआर ने मनाया 35 वाँ स्थापना दिवस

राजातालाब। आराजी लाइन विकासखंड क्षेत्र के शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने बड़े हर्षोल्लास के साथ अपना 35 वाँ स्थापना दिवस मनाया। दीप प्रज्वलन और संस्थान के ध्येय वाक्य “विज्ञान-आधारित सब्जी विकास: स्वस्थ एवं समृद्ध भारत की ओर” के उद्घोष से शुरू हुआ यह समारोह देश की पोषण और आर्थिक सुरक्षा में संस्थान के ऐतिहासिक योगदान को दर्शाता है।संस्थान ने अब तक 33 सब्जी फसलों में 133 उन्नत किस्में (25 संकर सहित) विकसित की हैं। इनमें काशी मनु (कलमी साग), काशी अन्नपूर्णा (पंखिया सेम), काशी उदय, काशी नंदिनी (सब्जी मटर), काशी कंचन (लोबिया), काशी क्रांति (भिंडी), काशी अमन (टमाटर), काशी अनमोल (मिर्च), काशी गंगा (लौकी) और काशी तरु (बैंगन) जैसी किस्में किसानों में व्यापक रूप से लोकप्रिय हुई हैं। संस्थान ने टोमैटो ग्राफ्टिंग, पोमेटो, ब्रिमेटो, माइक्रोन्यूट्रिएंट फॉर्मुलेशन (काशी सूक्ष्म शक्ति) और एफपीओ आधारित तकनीक वितरण मॉडल के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हरी मिर्च पाउडर, इंस्टेंट लौकी खीर मिक्स, इंस्टेंट सहजन सूप मिक्स, करेला चिप्स और कद्दू हलवा मिक्स जैसे मूल्य संवर्धित उत्पादों से ग्रामीण उद्यमिता को नई दिशा मिली है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. मंगला राय, पूर्व सचिव डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने कहा कि कृषि को समेकित समग्र रूप में देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आईआईवीआर ने सब्जी क्रांति का नेतृत्व करते हुए देश में सब्जियों की उत्पादकता और गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। भविष्य में जलवायु स्मार्ट फसलें, पोषक तत्वों से भरपूर किस्में और शहरी खेती मॉडल भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगे। उन्होंने वैज्ञानिकों से मृदा सूक्ष्मजीवों, सेकेंडरी एग्रीकल्चर, मृदा कार्बन तत्वों पर विशेष शोध करने की अपील की और कहा कि समेकित शोध की दिशा में कार्य करना होगा। विशिष्ट अतिथि डॉ. सुधाकर पांडेय, सहायक महानिदेशक, भाकृअनुप, नई दिल्ली ने बताया कि वर्तमान में लगभग 9 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह फल-सब्जी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 25 वर्ष बाद लगभग 592 मिलियन टन और 34 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादकता की आवश्यकता होगी। उन्होंने बहु-रोग प्रतिरोधी किस्मों, सुरक्षित सब्जी उत्पादन और आधुनिक तकनीकों के प्रयोग पर जोर दिया। संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि संस्थान का लक्ष्य सब्जियों को केवल पोषण का साधन न बनाकर किसान समृद्धि और सतत आजीविका का आधार बनाना है। उन्होंने बताया कि भविष्य में जीनोमिक्स, एआई आधारित प्रजनन, जलवायु सहनशील किस्में, संरक्षित एवं शहरी खेती तथा प्राकृतिक खेती की दिशा में और अधिक कार्य किया जाएगा।इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले डॉ. नागेंद्र राय, संजय कुमार यादव, गोपीनाथ, कमलेश मीना और नारायणी सिंह को सम्मानित किया गया। जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत 15 अनुसूचित जनजातीय महिलाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर डॉ. मंगला राय और डॉ. सुधाकर पांडे ने सभी महिलाओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और सिलाई मशीनें प्रदान कीं। संस्थान ने नेक्सस एग्रो जेनेटिक्स सीड्स, वाराणसी के साथ काशी सुहावनी, तेजस्वनी सीड्स, मिर्जापुर के साथ काशी निधि, त्रिपाठी बीज उत्पादक समिति, जालौन के साथ काशी उदय, तथा धीरज कुमार उपाध्याय, मिर्जापुर और पंकज कुमार श्रीवास्तव, आजमगढ़ के साथ ब्रिमेटो ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी के स्थानांतरण हेतु समझौते किए। साथ ही एग्रिमित्र किसान उत्पादन समिति, एवं कठेरवा महादेव फार्मर प्रोडूसर कंपनी, मिर्ज़ापुर के साथ भी समझौता ज्ञापन का हस्तांतरण किया गया. कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ए.एन. सिंह ने किया।

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