हिमाचल के मुख्यमंत्री की दौड़ में अब सुखविंदर सिंह, मुकेश अग्निहोत्री, राजिंदर राणा शामिल

नई दिल्ली : बीते दिनों देश में 3 बड़े चुनाव हुए जिसमें गुजरात में बीजेपी एमसीडी दिल्ली में आप और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने बाजी मारी। लेकिन स्पष्ट बहुमत हासिल करने बाद भी कांग्रेस अभी तक नए मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं कर पाई है। मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई और उन्होंने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष को उनका नेता चुनने के लिए अधिकृत किया।
सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री की रेस से बाहर चल रही हैं, हिमाचल में मुख्यमंत्री पद के लिए जो तीन नाम सबसे आगे चल रहे हैं उनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, नेता विपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री और सीनियर पार्टी नेता राजिंदर राणा शामिल हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विधवा प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने उन्हें सीएम बनाने के लिए नारेबाजी की थी, इसलिए पार्टी आलाकमान प्रतिभा के नाम पर शायद ही मुहर लगाए। क्योंकि बगावत के सुर पैदा करने वालों को पार्टी किनारे कर रही है।

कांग्रेस आलाकमान के करीबी सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद की दौड़ में केवल तीन नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और राजिंदर राणा हैं। मुख्यमंत्री विधायकों में से ही होगा। आपको बता दे की अगर प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो दो उपचुनाव कराने होंगे। एक लोकसभा का, दूसरा विधान सभा का। प्रतिभा सिंह वर्तमान में सांसद हैं। अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो 6 महीने के अंदर उन्हें विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी होगा। ऐसे में एक विधायक का इस्तीफा लिया जाएगा और फिर प्रतिभा को मंडी से सांसदी छोड़नी होगी।
दरअसल, मंडी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 10 में से 9 सीटें बीजेपी जीती है। यहां से सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीत पाई है। पार्टी आलाकमान को लगता है कि ऐसे में जब कांग्रेस मंडी की 10 में से 9 सीटों पर हार गई है तो तुरंत उपचुनाव कराना उचित नहीं होगा, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि प्रतिभा सिंह को मनाने के लिए उनके विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में बड़ा पद दिया जा सकता है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि अगर उनकी मां को मुख्यमंत्री बनाया जाता है कि तो अपनी सीट छोड़ देंगे और मां को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस समय पार्टी कोई भी गलती या चूक करने को तैयार नहीं। यह भी जरूरी नहीं कि उपचुनाव में कांग्रेसका ही उम्मीदवार जीते इसलिए पार्टी 3 नेताओं में से 1 को मुख्यमंत्री तय कर सकती है।