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विधानसभा चुनाव को लेकर मनावर में स्थानीय उम्मीदवार की मांग, कांग्रेस किस चेहरे पर खेलेगी दाव?

पूर्व सांसद गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी और कांग्रेस नेता निरंजन डावर पार्टी के हो सकते है संभावित चेहरे

मनावर (मप्र.) नगर निकाय चुनाव के बाद अब सभी पार्टियां इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। जहां सरकार में रहकर बीजेपी में मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में विकास यात्रा के दौरान जनता से अपना संपर्क साधने में जुटे है, वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी उत्तर से लेकर पश्चिम तक के क्षेत्रों में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। वह किसी भी कारण प्रदेश की कोई भी सीटें गवाना नहीं चाहते, जिसके लिए उन्होंने बीते दिनों भोपाल में प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ मिलकर अहम बैठक भी ली थी। जिसमें उन्होंने दिग्विजय सिंह को भी बड़ी जिम्मेदारी देते हुए 65 सीटों पर पार्टी को मजबूत करने का लक्ष्य दिया है।

बीते दिनों धार जिले में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस का खासा प्रदर्शन रहा है, निकाय चुनाव में कांग्रेस ने कई सीटों पर कब्जा जमाया, वहीं बीजेपी भी निर्धारित सीटों पर अपनी जीत दर्ज कर पाई है। जिले में निकाय चुनाव के दौरान कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष बालमुकुंद गौतम और जिला प्रभारी रहे निर्मल मेहता के नेतृत्व में पार्टी को जीत का सेहरा पहनने को मिला है। यहां तक कि प्रदेश की बड़ी औद्योगिक नगरी पीथमपुर में भी कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज की जिसका श्रेय श्री गौतम को भी जाता है। बीजेपी की ओर से राजीव यादव जिला अध्यक्ष और सांसद छतरसिंह दरबार के नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में पार्टी को जिले की कई सीटे मिल पाई है।

बात करे मनावर की तो यहां विधायक डॉ हीरालाल अलावा के नेतृत्व में लड़े गए नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। और सांसद छतरसिंह दरबार एवं पूर्व मंत्री रंजना बघेल के नेतृत्व में लड़े जाने वाले नपा चुनाव में भाजपा को नगर से जीत मिली। नपा में कांग्रेस की इस हार का कारण पूर्व सांसद राजूखेड़ी ने डॉ अलावा को बताया है। उन्होंने पीथमपुर में मीडिया को बताया था कि मनावर नगर पालिका जिताने की जिम्मेदारी विधायक डॉक्टर अलावा ने ली थी, उन्होंने निर्मल मेहता को कहा था कि चुनाव में जीत कर लाऊंगा। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी और जीतने वाले प्रत्याशियों को टिकट न देकर स्वयं अपने निर्णय से टिकिटो का चयन करने के कारण कई वार्ड की सीटों पर राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी तीसरे नंबर आ पर पहुंची थी, जिसमे 4, 7 और 10 नंबर वार्ड की सीटे शामिल है। कुल मिलाकर कांग्रेस 15 सीटों में से 6 पर सिमट गई। सूत्रों के अनुसार यह भी बताया गया है कि विधायक डॉ अलावा ने तत्कालीन जिलाध्यक्ष बालमुकुंद गौतम और नगर पालिका मनावर के प्रभारी रहे महेश पटेल अलीराजपुर को भी अनसुना कर दिया था। परिणाम स्वरूप सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इस कारण नाराज भी नजर आए। जबकि पिछले नपा चुनाव में गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी के नेतृत्व में लड़ने वाले चुनाव में कई दशक बाद कांग्रेस नगर की सत्ता में काबिज हुई थी, क्योंकि क्षेत्र का भरपूर ज्ञान और राजनीतिक अनुभव होने कारण यह सब मुमकिन हुआ था।

विधानसभा चुनाव में मनावर के संभावित चेहरे

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही नेता और पार्टियां सक्रिय होती नजर आ रही है। मनावर विधानसभा में कांग्रेस को लेकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार कमलनाथ जीतने वाले प्रत्याशी को ही टिकट देकर विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारेंगे। 15 महीने चलने वाली कांग्रेस सरकार दल बदलने वाले विधायकों के कारण टूट गई थी। जिसके बाद कमलनाथ दोबारा सत्ता में काबिज होने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सत्ता में काबिज होने के लिए उन्हें 230 सीटों पर अधिक से अधिक जीतने वाले विधायको का साथ चाहिए होगा। धार जिले में 7 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें मनावर सीट से इस बार पार्टी किस चेहरे पर दाग खेलेगी, यह साफ-साफ कहा जाना मुश्किल है। लेकिन राजनीति समीकरणों के आधार पर देखा जाए तो इस बार स्थानीय उम्मीदवार की मांग की जा रही है। जिसको लेकर पार्टी पूर्व सांसद गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी या कांग्रेस नेता निरंजन डावर पर दांव खेल सकती है। जो विधानसभा क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं। इसके अतिरिक्त युवा और सक्रिय नेता राधेश्याम मुवेल और जयस के डॉ हीरालाल अलावा एवं लालसिंह बर्मन भी टिकट की दौड़ में शामिल है। लेकिन पंचायत चुनाव, जिला जनपद और नगर पालिका में हार का मुंह देखने के बाद विधायक डॉ अलावा का स्तर क्षेत्र में कमजोर साबित हुआ है। जिसके कारण पार्टी मनावर सीट से प्रत्याशी का चेहरा बदल सकती है। हालाकि देखा जाए तो जयस के कारण समाज में वह किसी हद तक अपनी मजबूती को बनाए हुए हैं। और आगामी विधानसभा चुनाव में वह 80 सीटों से चुनाव लड़ने की बात भी कर रहे हैं।

स्थानीय संगठन को मिलेगा महत्व : पूर्व सीएम कमलनाथ

कमलनाथ ने कहा कि दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं के विषय में फैसला हमारा स्थानीय नेतृत्व करेगा। हम जिला स्तर के संगठन से चर्चा कर आगे फैसला लेंगे। हम किसी को टिकट का आश्वासन नहीं देंगे, यदि कोई आए तो उसका स्वागत है। टिकट देने का फैसला स्थानीय नेतृत्व व संगठन ही करेगा। मैं किसी को भी झूठे आश्वासन कभी नहीं देता। और स्थानीय संगठन की मांग पर स्थानीय उम्मीदवारों को ही टिकट वितरण करेंगे।

भोपाल में कांग्रेस का मंथन, दिग्विजय सिंह को दी बड़ी जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बड़ी जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। वो इस बार पूरी 230 सीटों के विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर संगठन को मजबूत बनाएंगे। साथ ही जनता की नब्ज टटोलेंगे। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा कर कांग्रेस को सत्ता दिलाई थी लेकिन इस साल होने वाले चुनाव को लेकर दिग्विजय सिंह सभी 230 सीटों पर पहुंचने की तैयारी में हैं। 17 फरवरी से दिग्विजय सिंह का विधानसभा वार अभियान शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत भोपाल से की गई। उन्हे 65 सीटों की जिम्मेदारी को दी गई। दिग्विजय सिंह के दफ्तर से मिली जानकारी के मुताबिक अगले 2 महीने में दिग्विजय सिंह 65 विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर कांग्रेस के लिए जमीन मजबूत करेंगे। चिन्हित की गई 65 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जिम्मेदारी अब दिग्विजय सिंह को सौंपी गई है कि कैसे बीजेपी के कब्जे वाली सीटों पर कांग्रेस मजबूत बने।

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