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कांग्रेस का रायपुर में 85वा राष्ट्रीय महाधिवेशन :

हम यहां ऐसे समय में जमा हुए हैं जब देश में लोकतंत्र और संविधान खतरे में है – राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के रायपुर में चल रहे कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय महाधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि हम यहां ऐसे समय में जमा हुए हैं जब देश में लोकतंत्र और संविधान खतरे में है। संसदीय संस्थानों को गंभीर संकटों का सामना करना पड़ रहा है और राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

महाधिवेशन में संचालन समिति की बैठक में उद्घाटन भाषण देते हुए खरगे ने सदस्यों से खुलकर अपनी बात रखने और सामूहिक रूप से निर्णय लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, आप लोग जो भी निर्णय लेंगे वह मेरा और हममें से हर किसी का निर्णय होगा। उन्होंने कहा कि इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा का चुनाव है, ऐसे में यह महाधिवेशन हमारे लिए चुनौती के साथ अवसर भी है। भारत जोड़ो यात्रा का उल्लेख करते हुए खरगे ने कहा, इसने पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है।

कार्यसमिति में 50% आरक्षण

कांग्रेस संचालन समिति ने पार्टी संविधान में कई संशोधनों को मंजूरी दी है। सर्वशक्तिशाली कार्यसमिति में पूर्व प्रधानमंत्रियों, पार्टी के पूर्व अध्यक्षों व लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के नेताओं को स्थायी सदस्यता दी गई। इसके बाद सीडब्ल्यूसी सदस्यों की संख्या 25 से ज्यादा हो जाएगी। कार्यसमिति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और युवाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सभी निकायों में इन वर्गों को 50 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।

पहली बार गांधी परिवार के बिना संचालन समिति की बैठक

25 साल में पहली बार संचालन समिति की बैठक में गांधी परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। संचालन समिति ने उनके बिना ही कार्यसमिति के सदस्यों के मनोनयन के लिए खरगे को अधिकृत किया। माना जा रहा है कि गांधी परिवार यह संदेश देना चाहता था कि खरगे को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए फ्री हैंड दिया गया है। परिवार का इसमें कोई दखल नहीं है। भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि गांधी परिवार पर्दे के पीछे से नेतृत्व संभाले हुए है। शुरू में यह अफवाह भी उड़ी कि गांधी परिवार महाधिवेशन में नहीं आएगा। हालांकि, दोपहर तीन बजे के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी विशेष विमान से रायपुर पहुंचे।

5 मुद्दों पर लगातार मंथन

1- संगठन मामले : यदि उदयपुर चिंतन शिविर में संगठन का खाका तैयार करने का प्लान तैयार किया गया था तो रायपुर बैठक में संगठन को कैसे मजबूत किया जाए और चुनाव लड़ने की तैयारी के बारे में चर्चा की जाएगी। एक सीनियर महासचिव ने कहा कि रायपुर अधिवेशन, उदयपुर घोषणा के कार्यान्वयन की शुरुआत को चिन्हित करेगा। पार्टी के शीर्ष नेताओं के अनुसार, जमीनी स्तर से कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे पूरी तरह से पार्टी की मजबूती पर केंद्रित हैं। कुछ शीर्ष नेताओं ने कहा कि संगठन में संरचनात्मक परिवर्तन किए जाएंगे। CWC के एक सदस्य ने कहा, “परफॉर्मेंस महत्वपूर्ण होगा। जवाबदेही तय करने की जरूरत है। इसके साथ ही छह नए विभाग बनाए जाएंगे, जिनमें इलेक्शन मैनेजमेंट, पब्लिक इनसाइट, ट्रैनिंग, परफॉर्मेंस असेसमेंट शामिल हैं। खड़गे जी ने कार्यभार संभालते ही पब्लिक इनसाइट विभाग के बारे में घोषणा कर दी थी। इस पर काम पहले से ही चल रहा है।” AICC के एक अन्य विभाग के अध्यक्ष ने कहा, “नए कांग्रेस अध्यक्ष अधिक मजबूत आंतरिक क्षमताओं के निर्माण में विश्वास रखते हैं। वह पहले से ही सभी पार्टी इकाइयों के प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा कर रहे हैं।” संगठन के ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन के अलावा, इस बात पर ध्यान होगा कि लोगों तक कैसे पहुचा जाए और सिस्टम में नए चेहरे कैसे डाले जाएं।

2- 2024 चुनाव और गठबंधन

एक और बड़ा मुद्दा जिस पर गहन चर्चा होगी, वह है लोकसभा 2024 के चुनाव के लिए रणनीति तैयार करना। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस और उसके “सहयोगी दल” 2024 में केंद्र में सरकार बनाएंगे और इस गठबंधन सरकार का नेतृत्व कांग्रेस करेगी। सूत्रों के अनुसार, एक ऐसे फॉर्मूले पर काम किया जा रहा है, जिसमें कांग्रेस अपने नेतृत्व का दावा करती है और दूसरे दलों को यह स्पष्ट संदेश देती है कि वह “अपनी प्रमुख स्थिति छोड़ने” नहीं जा रही है। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा, “हमें पहले खुद को मजबूत करना होगा। हम पांच सूत्रीय कार्यक्रम पेश करेंगे, लेकिन इसकी रूपरेखा AICC के पूर्ण सत्र के अंत में तय की जाएगी।”

3- संगठन में फेरबदल प्रस्ताव

जब राहुल गांधी ने 3 जुलाई, 2019 को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो उन्होंने अपने चार पेज लंबे इस्तीफे पत्र में कहा था, “पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए कठोर निर्णयों की आवश्यकता है.” AICC के एक प्रभारी ने कहा, “राहुल गांधीजी की तपस्या- भारत जोड़ो यात्रा एक बड़ी सफलता है। अब बड़ा सवाल यह है कि इस लोकप्रियता को वोट में कैसे बदला जाए। पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए हमें लोगों तक पहुंचने के अलावा संगठनात्मक स्तर पर कड़े फैसले लेने होंगे।” उदयपुर चिंतन शिविर की एक बहुत ही महत्वपूर्ण घोषणा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक पदाधिकारी के लिए एक विशेष स्थिति में कार्यकाल तय किया जाना चाहिए। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी महासचिव ने कहा, “फेरबदल का प्रस्ताव है, पार्टी के किसी भी पदाधिकारी का कार्यकाल तीन से पांच साल तक हो सकता है। हालांकि, किसी विशेष राज्य या विभाग में पांच साल तक एक ही पद पर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को दूसरे असाइनमेंट पर भेजा जाना चाहिए।” इस बीच एक विभाग प्रमुख ने कहा, “हम बहुत सारे वरिष्ठों को महासचिवों के पद पर आते हुए देख सकते हैं, जबकि कई प्रभारी पीसीसी प्रमुखों के रूप में राज्यों की ओर मार्च कर रहे हैं। ये बदलाव प्रत्येक व्यक्ति के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए किए जाएंगे।”

4- सीडब्ल्यूसी चुनाव

इन सबके बीच एक बड़ा सवाल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव का है। हालांकि ऐसा होगा या नहीं। इसको लेकर संकेत है कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को सीडब्ल्यूसी सदस्यों को नामित करने के लिए अधिकृत किया जाएगा। साथ ही इस बात को लेकर भी सुगबुगाहट है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्षों और पूर्व पीएम को सीडब्ल्यूसी का स्थायी सदस्य बनाने के लिए पार्टी के संविधान में संशोधन किया जाए या नहीं। इसको लेकर 24 फरवरी को सुबह संचालन समिति की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा। हालांकि पार्टी द्वारा ‘5 सूत्रीय कार्यक्रम’ को लेकर आने की संभावना है।

5. कांग्रेस पहले- नेता केंद्रित से पार्टी केंद्रित दृष्टिकोण में बदलाव

पार्टी की अंदरूनी कलह से निपटने के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेता स्पष्ट संदेश भेजने के लिए तैयार हैं कि पार्टी सबसे ऊपर है। पार्टी के हितों को ठेस पहुंचाने वाले से सख्ती से निपटा जाएगा। एक राज्यसभा सांसद ने कहा, “संगठन को जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा, कांग्रेस संगठन सर्वोच्च प्राथमिकता, व्यक्तिगत हित को पार्टी के हित में पीछे रखना चाहिए।”

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