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विधानसभा चुनाव के 6 महीने पहले ही सतर्क हो गई राजनेतिक पार्टियां

फोटो साभार

खुफिया एजेंसियों से करवाया जा रहा है सर्वे : सूत्र

मनावर : (शाहनवाज शेख) मध्यप्रदेश में आगामी 6 माह के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसको लेकर प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां सतर्क और सक्रिय हो गई है। धार्मिक कार्यक्रम हो, हादसों की घड़ी या फिर जनता के बीच जाने वाला कोई भी मौका। पार्टी के नेता अवसर का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। इसी के बीच राजनेताओं को अपने वोट मजबूर करने का अवसर भी प्राप्त होता है। आपने देखा होगा की पिछले कई महीनों से चुनावी वर्ष शुरू होने के साथ-साथ योजनाओं की घोषणाओं का दौर शुरू हो गया है। और पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी गढ़ रही है, भाजपा सरकार की कमियों को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर रही, वही दोबारा सत्ता में काबिज होने के लिए वर्तमान सरकार भी पुरजोर कोशिश और जनता को लुभाने के लिए आर्थिक सहायता देने से भी पीछे नहीं हट रही है। बीते दिनों लाडली बहना योजना के अंतर्गत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पात्र महिलाओं को ₹1000 प्रति माह देने की योजना बनाई। जिसके बाद कमलनाथ ने भी आगामी विधानसभा में कांग्रेस की सरकार बनने पर ₹1500 रुपए महिलाओ को आर्थिक सहायता और घरेलू गैस सिलेंडर ₹500 में देने की घोषणा कर दी है।

इसी के साथ बीते महीनों में मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में कई योजनाओं का लोकार्पण किया गया। विकास यात्रा के रूप में भी गांव गांव जाकर कई नवीन निर्माण कार्यों को हरी झंडी मिली। लेकिन कांग्रेस ने ईसे विनाश यात्रा का नाम दिया और कहा कि चुनाव आते ही भाजपा सरकार को योजनाएं और बहने याद आने लगी। जिसके बाद लगातार दोनों बड़ी पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ चंबल और ग्वालियर क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से लगातार दौरे कर रहे हैं, वही राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। हाल ही में निमाड़ क्षेत्र के कसरावद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेसी कद्दावर नेता स्वर्गीय सुभाष यादव की पुण्यतिथि पर गोरावा आए कमलनाथ ने मीडिया के पूछे जाने पर कहा कि चुनाव आते ही भाजपा दंगे कराने का काम शुरू कर देती है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में ऐसी आगजनी और दंगा प्रसाद जैसा माहौल नहीं था। लेकिन दो बड़े चुनाव नजदीक आते ही सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने काम शुरू कर दिया जाता है यह क्यों किया जाता है पूछने का विषय है।

बीते लंबे समय से मध्य प्रदेश की सत्ता के मुखिया के रूप में शिवराज सिंह चौहान यथावत बने हुए हैं। कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद दोबारा शिवराज सिंह चौहान को ही पार्टी ने अवसर का लाभ दिया। जिसके बाद अंदरूनी खींचातानी का शोर भी सुनाई देने लगा था। यूपी की तर्ज पर लड़े जाने वाले चुनाव की राजनीतिक रणनीतियां भाजपा द्वारा बनाई जा रही है। जिसमें प्रदेश के धूलंदर नेताओं के साथ-साथ केंद्र सरकार भी हस्तक्षेप कर रही है। सूत्रों की माने तो मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से अधिकतम सीटों के फैसले पर केंद्र से मोहर लगेगी। क्योंकि विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव भी नजदीक आ चुके हैं। पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देकर विजयश्री हासिल करना चाहेगी जो आगामी लोकसभा चुनाव में वोट बैंक को मजबूत बना सके। पिछले सप्ताह से हम देख रहे हैं कि भारत में आठ जगह संप्रदायिक तनाव बढ़ने के समाचार प्राप्त हुए है। जिस में आगजनी, पथराव, तोड़फोड़ जैसे हालात भी पैदा हुए हैं। हाल ही में बंगाल में हुई हिंसा के बाद सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा जानबूझकर उन इलाकों में धार्मिक रेलिया करती है जहां पर अधिकतम समुदाय विशेष के लोग निवास करते है। इसके पलटवार में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दंगाइयों को उल्टा लटका कर सबक सिखाया जाएगा।

पार्टी के नेताओं के साथ-साथ खुफिया एजेंसी भी सर्वे में शामिल

आगामी विधानसभा में प्रत्याशी की मजबूती और क्षेत्र में पकड़ तथा उसके विरोधियों की जानकारी जुटाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दल के साथ साथ खुफिया एजेंसीया भी सर्वे के कार्य में जुटी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल भी विधानसभा जीतने वाले प्रत्याशी को ही टिकट देकर चुनावी मैदान में जोर आजमाइश के लिए उतारेगी। दोनों बड़ी पार्टियों के अलावा भीम आर्मी और जयस के कार्यकर्ता भी राजनीतिक समीकरण को बिगाड़ने का काम कर सकते हैं। इन सभी बारीकीयों से निपटने के लिए रणनीति बनाकर देश की दोनों बड़ी पार्टी चुनावी खेल को अंजाम देगी। जिसके लिए राजनीतिक विशेषज्ञ और सर्वेयर द्वारा सर्वे कार्य शुरू कर दिया गया है। यह टीमें गोपनीयता को बनाए रखते हुए प्रत्याशियों का चयन कर आलाकमान को प्रस्तुत करेगी। जिसके बाद विचार विमर्श किया जाएगा फिर प्रत्याशी को मौका देकर चुनावी मैदान में उतारा जाएगा।

एमपी में 47 सीटों का सियासी खेल : आदिवासियों को साधने कांग्रेस-बीजेपी का प्लान तैयार

मध्य प्रदेश की सियासत आदिवासियों के इर्द-गिर्द चलती हुई नजर आ रही है। बीजेपी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दे रही है कि वो आदिवासियों के बीच जाकर पार्टी की बात रखें। वहीं पीसीसी चीफ कमलनाथ ने आदिवासी नेताओं और विधायकों को ट्राइबल बेल्ट का दौरा करने और आदिवासियों के साथ संवाद स्थापित करने के निर्देश दे दिए हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने अगले 6 महीने के लिए प्लान ऑफ एक्शन भी तैयार कर लिया है। इसके तहत पार्टी लगातार इन सीटों पर मेहनत मशक्कत करेगी। कांग्रेस सभी प्रमुख आदिवासी संगठनों को पार्टी के साथ जोड़ने के प्लान पर काम कर रही है। ताकि भाजपा से वो अपना पुराना वोट बैंक वापिस खींच सके। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी।

धार जिले की 7 विधानसभा सीटों का चक्रव्यूह

कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले धार जिले की राजनीति इस बार क्या बयान करती है यह आने वाले महीनों में ही जान पाएंगे। भाजपा पार्टी के धार जिला अध्यक्ष राजीव यादव और कांग्रेस के कमल किशोर पाटीदार द्वारा जिले में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को मजबूत किए जा रहे हैं। जिसमें भाजपा की ओर से सांसद छतरसिंह दरबार, पूर्व मंत्री रंजना बघेल, विक्रम वर्मा, जयदीप पटेल सहित जिले के रणनीतिकारो को विशेष जिम्मेदारियां दी जा रही है। उधर संसद से राहुल गांधी की सदस्यता खत्म होने के बाद राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी द्वारा ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रेस वार्ता कर भाजपा के कारनामों को गिनाया जा रहा है। जिसको लेकर धार जिले में पूर्व सांसद गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी, पूर्व जिलाध्यक्ष बालमुकुंद गौतम, श्री बुंदेला, पुर्व मंत्री उमंग सिंगार, हनी बघेल, प्रताप गिरवाल जैसे नेताओं ने जिले में मजबूती बनाई हुई है।

सूत्रों की माने तो जिले की धार विधानसभा सीट से इस बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में नीना विक्रम वर्मा के अलावा किसी और चेहरे को भी दिखा जा सकता है, वहीं कांग्रेस से कुलदीप बुंदेला को हरी झंडी मिल सकती है। वही धरमपुरी से कांग्रेस विधायक पाचीलाल मेडा रनिंग एमएलए होने के नाते दोबारा चुनाव लड़ सकते है, या राजुखेड़ी को भी पार्टी मैदान में उतार सकती हैं, इसने अलावा सुखराम मकवाना भी टिकिट की दौड़ में शामिल है और भाजपा से अभी कोई चेहरा खुलकर सामने नहीं आया। मनावर विधानसभा से भाजपा से कई नाम सामने आ रहे है इसमें पूर्व मंत्री रंजना बघेल, प्रदेश मंत्री जयदीप पटेल, जिला पंचायत सदस्य शिवराम गोपाल कन्नौज और गणेश जर्मन जैसे नाम शामिल है, वही कांग्रेस से भी दिग्गजों की कतार लगी हुई है जिसमे पूर्व सांसद गजेंद्रसिंह राजुखेड़ी, निरंजन डावर, राधेश्याम मुवेल, वर्तमान विधायक डॉ अलावा और जयस के लालसिंह बर्मन, बबलू दरबार आदि उम्मीदवार अपने दावे भर सकते है। गंधवानी विधानसभा से प्रथम दृष्टा कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उमंग सिंगार को कांग्रेसी उम्मीदवार बनाए जा सकते है, वही भाजपा से बलवंत सिंह मंडलोई, रमेश जूनापानी, सरदार सिंह मेडा जैसे नेताओं को मौका मिल सकता है। कुक्षी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी वर्तमान विधायक हनी बघेल को चुनाव लड़ाएगी? और भाजपा से खुलकर अभी कोई नाम सामने नहीं आए लेकिन यहां भी सूत्रों के अनुसार कुछ बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। भाजपा जयस के किसी पदाधिकारी को चुनाव लड़ा सकती है या फिर स्थाई नेता रंजना बघेल को ही अवसर दिया जाएगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। बदनावर सीट से मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव को भाजपा उम्मीदवार बना सकती है, जिसके सामने कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष बालमुकम गौतम चुनावी मैदान में उतर कर भाजपा के वर्तमान मंत्री को टक्कर देने का जोखिम उठा सकते हैं। यहां भी सूत्रों के अनुसार बताया गया है की पार्टी ने उन्हें जिला अध्यक्ष के पद से हटाकर बदनावर की जिम्मेदारी दी है। सरदारपुर विधानसभा से प्रताप गिरवाल को रनिंग एमएलए होने के नाते दोबारा टिकट मिल सकता है और भाजपा किस चेहरे पर दाव खेलेगी, यह आने वाले समय में ही साफ कहना उचित होगा।

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