दम तोड़ने लगी है यातायात व्यवस्थाऐं, इतनी बड़ी लापरवाही समझ से परे।

मनावर : (मप्र.) शाहनवाज शेख – ट्रैफिक का हॉटस्पॉट बन चुका नगर का मुख्य गांधी चौराहा, लेकिन जिम्मेदार जागने को तैयार नहीं। पॉलिटिकल नेता हो या शासकीय अधिकारी सभी इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं लेकिन दम तोड़ती हुई यातायात व्यवस्थाऐं किसी को दिखाई नहीं दे रही? नगर में चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि और पॉलिटिकल नेता जनता के बीच बड़े-बड़े वादे और घोषणा लेकर पहुंच जाते हैं लेकिन क्या उन्होंने कभी नगर की बिगड़ी हुई यातायात पर नजर डाली है, प्रतिदिन अपनी जान से खिलवाड़ कर रही नगर की जनता किसके भरोसे? विधानसभा के पॉलिटिकल नेता सीएम शिवराज सिंह चौहान पर बायपास न बनाने का इल्जाम लगाते हैं, लेकिन कौन ऐसे जनप्रतिनिधि या नेता है जिन्होंने जनता के हित में नगर के प्रमुख मुद्दे बाईपास रिंग रोड को लेकर धरना प्रदर्शन या आंदोलन किया हो।

चौराहे पर तैनात दो पुलिसकर्मी सुबह से लेकर शाम तक यातायात व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन ट्रैफिक का दबाव इतना ज्यादा रहता है कि उनकी मेहनत भी असफल नजर आने लगती है। गांधी चौराहे से धार, बड़वानी व खलघाट की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग हैं। छोटे बड़े वाहन नगर के एक छोर से अगले छोर तक जाने के लिए इसी मुख्य चौराहे का उपयोग करते हैं, इसी बीच नगर का ट्रैफिक भी इसी चौराहे से होकर गुजरता है। वर्तमान स्थिति में देखा जाए तो चौराहे की हालत ऐसी हो गई है कि जिसे जहां से जगह मिल रही है व्यक्ति वहीं से अपने वाहन निकालना शुरू कर देता है। प्रति दिन में 10 बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि यातायात थम जाता है जिसके बाद बड़ी मशक्कत से जाम खुलता है। बाहरी यातायात तो ठीक है नगर के लोग भी इस समस्या से ऊब चुके हैं लेकिन कोई भी संबंधित जिम्मेदार बायपास रिंग रोड बनाने का जिम्मा नहीं ले रहा है।

बीते दिनों बालीपुर धाम में जन्मोत्सव के अवसर पर पधारे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान मंच से बाईपास रिंग रोड बनाने के लिए सर्वे करवाने का काम शुरू करने की बात कह गए। अब उसके इंतजार में जनता आस लगाकर बैठ गई। 5 वर्षों से आवागमन तेजी से बढ़ गए लेकिन किसी ने भी इसकी सुध नहीं ली। कभी-कभी तो यह प्रतीत होता है कि जनता को स्वयं ट्रैफिक जाम की समस्या से लड़ने के लिए झोंक दिया है। रेंग रेंग कर गुजरता है नगर का ट्रैफिक, लेकिन कोई और विकल्प नहीं। सप्ताह के हॉट यानी कि शुक्रवार के दिन तो यातायात व्यवस्था पनाह मांगती है। क्योंकि सड़क पर लगने वाला हाट बाजार यातायात को ठप कर देता है। नगर के सनम चौपाटी से लेकर अंबेडकर चौराहा, गांधी चौराहा और सिंघाना रोड तक ट्रैफिक जाम की ऐसी दशा रहती है मानो स्टेट हाईवे ना होकर कोई ग्रामीण क्षेत्र का एरिया हो। चुकी मुख्य मार्ग होने के नाते छोटे बड़े वाहन कार, बस, ट्रक, ट्राले, एंबुलेंस एवं फायर बिग्रेड सभी इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं। बावजूद इसके अभी तक यातायात से निपटने के लिए कोई उचित सुझाव या अल्टरनेट बाईपास रिंग रोड का कार्य शुरू नहीं किया गया।

नगर वासियों को दुर्घटना का भय
रोजमर्रा के जीवन की जद्दोजहद के साथ इन लोगों को चौराहे से गुजरते वक्त दुर्घटना का भय सताता है, क्योंकि बड़े-बड़े वाहन कभी धीरे तो कभी तेज गति से गुजरते हैं जिनकी चपेट में आ जाने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है। क्योंकि मनावर ग्रामीण और आदिवासी बहुल इलाका है अधिकांश लोग बिना लाइसेंस के सड़कों पर वाहन चला रहे हैं? ऐसे में अनुभव की कमी या बड़े वाहनों की लापरवाही होने पर बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है। बावजूद इसके इतनी बड़ी लापरवाही समझ से परे है।
