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पैराशूट नहीं, स्थाई कांग्रेसी उम्मीदवार की जरूरत : विधानसभा मनावर

देखें जिलेवार सातों विधानसभा सीटों के उम्मीदवारों की स्थिति

मनावर : (मप्र.) शाहनवाज शेख – हाल ही में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक प्रदेश में अपनी बहुमत के साथ प्रचंड जीत हासिल की है। इसके बाद पूरे देश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। क्योंकि कर्नाटक में लोगों ने भ्रष्टाचार, नफरत, जातिवाद तोड़ने की राजनीति को नकार के मोहब्बत की हवा चलाते हुए जोड़ने की राजनीति को स्वीकार किया। इसी साल के अंत में मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। प्रदेश की दो बड़ी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ कुछ अन्य दल जैसे भीम सेना, जयस आदि प्रदेश में सक्रिय हो रहे हैं। कर्नाटक बहुमत के साथ विजय होने का एक कारण यह भी था कि इस बार आलाकमान ने कर्नाटक में खानदानी और कांग्रेसियों को टिकिट देकर मैदान में उतारा था। जिसका परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आया। ऐसे ही मध्यप्रदेश में इस बार प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में होने वाले चुनाव में सच्चे-पक्के और कांग्रेसी नेता को ही टिकट देकर चुनाव में उतरना है, अन्यथा पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

धार जिले की राजनीति गलियारों में नजर डाले तो जिले की स्थिति कांग्रेस को लेकर वर्तमान में तो ठीक ही बनी हुई है, लेकिन एंड वक्त पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा अगर टिकट को लेटर गड़बड़ घोटाला किया गया तो सारी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। विधानसभा टिकट के लिए प्रदेश के नेताओं ने जिले के राजनेताओं से भी पूछताछ कर दावेदारों के नाम तय करना चाहिए वरना, चयन प्रक्रिया में 1 सीट की भी कमी दुखदाई हो सकती है।

देखें जिलेवार विधानसभा की स्थिति

1. सबसे पहले धार की विधानसभा सीट पर नजर डालते हैं, जहां वर्तमान में बीजेपी की नीना वर्मा विधायक है और आगामी चुनाव में भाजपा पार्टी इस बार किसी नए चेहरे को मौका दे सकती है, वहीं कांग्रेस से बुंदेला परिवार को टिकट मिलने के आसार हैं, नहीं की दशा में कई चेहरे गुप्त रूप से अपनी कोशिश कर रहे हैं। अगर कांग्रेस में गुटबाजी नहीं रही तो इस बार धार में कांग्रेस के काबिज होने के आसार बन सकते हैं।

2. दूसरे नंबर पर सरदारपुर विधानसभा सीट जहां से प्रताप ग्रेवाल कांग्रेस के विधायक है और पार्टी दोबारा इसी कांग्रेस नेता को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि चुनाव को अभी 5 माह से अधिक समय है, इसी बीच कई परिवर्तन हो सकते है।

3. तीसरे नंबर पर गंधवानी विधानसभा की सीट जहां से पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर खानदानी नेता उमंग सिंगार विधायक हैं। और यह उनकी लोकप्रिय सीट है, कहा जाता है कि भाजपा किसी को भी टिकट देकर चुनाव लड़ाएगी लेकिन उमंग का दबदबा क्षेत्र में कायम है। कार्यकर्ताओं की पहली पसंद उमंग सिंगार है जिसे पुनः कांग्रेस टिकट देकर चुनाव लड़ाएगी।

4. चौथे नंबर पर बदनावर विधानसभा सीट जहां से राजवर्धन दत्तीगांव वर्तमान प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर सेवा दे रहे हैं। और अपनी सीट जीतने के लिए दोबारा हर संभव प्रयास करेंगे, लेकिन बताया जा रहा है इस बार बदनावर जीतना उनके लिए भी टेढ़ी खीर है। इस सीट से कांग्रेस ने अभी तक कोई नाम घोषित नहीं किया। लेकिन पूर्व जिलाध्यक्ष बालमुकुंद गौतम, स्थाई उम्मीदवार की बात हो तो हरिनारायण पवार, अभिषेक सिंह (टिंकू बन्ना) जैसे नामों की चर्चा अंदरूनी सूत्रों से प्राप्त हो रही है।

5. पांचवे स्थान पर धरमपुरी विधानसभा जहां से वर्तमान में पाचीलाल मेंणा विधानसभा के विधायक है, जो एक जमीनी कार्यकर्ता के रूप में भी सभी के बीच बने रहते हैं। कारम नदी डेम वाले मुद्दे के दौरान धरमपुरी विधानसभा से भोपाल तक की पैदल यात्रा करने के बाद वह प्रदेश भर में चर्चाओं में है। फिलहाल कुछ माह पूर्व हुए नगर परिषद के चुनाव में धरमपुरी और धामनोद में अपनी जीत दर्ज कराने का श्रेय भी उन्हें मिला। इनका टिकिट भी आगामी चुनाव में तय माना जा रहा है।

6. जिले की छठी विधानसभा कुक्षी है जहां से सुरेंद्र सिंह हनी बघेल एक दबंग चेहरे के रूप में वर्तमान विधायक है। और बिना संकोच पार्टी को पुनः हनी बघेल को ही टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारना है, क्योंकि इससे बड़ा चेहरा कुक्षी विधानसभा में दूसरा फिलहाल नहीं है। और बीते दिनों चार दिवसीय के दौरे पर रहे बोहरा समाज के प्रमुख सैयदना साहब का भी उन्हें भरपूर आशीर्वाद मिला।

7. जिले की अंतिम सातवीं सीट मनावर विधानसभा है जहां पिछले 15 वर्षों से बाहरी उम्मीदवार विधायक है। 10 साल भाजपा की पूर्व मंत्री रंजना बघेल विधायक रही, उसके बाद अचानक कांग्रेस ने जयस के नेता डॉ हीरालाल अलावा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाकर मनावर सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया, नया चेहरा और भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी एवं कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज माफी वाली अग्रिम घोषणा के कारण विधायक को जीत का सेहरा मिला। लेकिन वर्तमान में उनकी स्थिति भी नाजुक बनी हुई है, पिछले तीनो छोटे चुनाव हारने के बाद कांग्रेस की स्तिथि में गिरावट आई है। एक तो पार्टी उन्हें इस बार टिकट दे या ना दे इस पर अभी गहरा मंथन है, दूसरी ओर क्षेत्र में गिरता वर्चस्व विधानसभा को भी डूबा सकता है। इसी बीच इस वर्ष स्थाई उम्मीदवार की मांग भी जोरों पर है जनता को अपनी सेवा के लिए स्थाई और कांग्रेस का नेता ही उम्मीदवार के रूप में चाहिए।

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